रांची: जलछाजन मिशन के तहत अभी राज्य भर में 117 प्वाइंट चिह्न्ति कर उस पर काम हो रहा है. वहीं सात सौ नक्सल प्रभावित ऐसे पंचायतों का भी चयन किया गया है, जहां आजीविका की परेशानी है. इन सभी पंचायतों में मिशन के तहत कार्यक्रम की सहमति केंद्र से ली जायेगी. जिन पंचायतों के लिए केंद्र से राशि नहीं मिलेगी, वहां राज्य योजना से कार्यक्रम चलेंगे. ग्रामीण विकास मंत्री केएन त्रिपाठी ने उक्त बातें कहीं. वह बुधवार को राज्य संग्रहालय, होटवार में आयोजित कार्यशाला में बोल रहे थे.
कार्यशाला समेकित जल छाजन प्रबंधन कार्यक्रम (आइडबल्यूएमपी) के अनुश्रवण व पर्यवेक्षण (मॉनिटरिंग एंड सुपरविजन) विषय पर आयोजित थी. श्री त्रिपाठी ने विभागीय अधिकारियों से कहा कि वह उक्त सभी पंचायतों की कार्य योजना तैयार कर 23 मई की बैठक में इसे प्रस्तुत करें, ताकि 28 मई को दिल्ली में होनेवाली बैठक में केंद्र सरकार के साथ इस पर चर्चा हो.
उन्होंने अधिकारियों से यह भी कहा कि मिशन के कार्यक्रम भले पांच साल के लिए बनाये जाते हों, लेकिन इसे मासिक समीक्षा के आधार पर अधिकतम तीन वर्षो में पूरा किया जाये. मिशन के फिल्ड कार्यकर्ताओं व जलछाजन कमेटी के पदाधिकारियों से मंत्री ने कहा कि हम आपकी आजीविका व सुरक्षा की जिम्मेवारी लेते हैं, लेकिन आप इस कार्य को महज नौकरी के तौर पर नहीं, बल्कि मिशन के तौर पर लें. इस दौरान मंत्री केएन त्रिपाठी व अधिकारियों ने मिशन के कार्य व विभागीय आदेश-निर्देश पर आधारित दो पुस्तिकाओं का विमोचन भी किया. इस अवसर पर वन विभाग के अधिकारी, एनजीओ प्रतिनिधि व मिशन कार्यकर्ता उपस्थित थे.