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झारखंड : विभाग ने कुछ किया नहीं, एनजीओ की मदद से पिता-पुत्रों का शव ले गये परिजन

दो बेटों के साथ जेल कर्मी की मौत पर सहयोग नहीं मिलने पर अस्थाई कर्मियों में रोष रांची : बिरसा केंद्रीय कारा, होटवार के अस्थाई कर्मी सुरेंद्र विश्वकर्मा व उनके दो पुत्रों की सड़क हादसे में रविवार को निधन हो गया. लेेकिन विभाग की ओर से पीड़ित परिवार को कोई सहायता नहीं मिली. फिर एक […]

दो बेटों के साथ जेल कर्मी की मौत पर सहयोग नहीं मिलने पर अस्थाई कर्मियों में रोष
रांची : बिरसा केंद्रीय कारा, होटवार के अस्थाई कर्मी सुरेंद्र विश्वकर्मा व उनके दो पुत्रों की सड़क हादसे में रविवार को निधन हो गया. लेेकिन विभाग की ओर से पीड़ित परिवार को कोई सहायता नहीं मिली. फिर एक स्वयंसेवी संस्था जीवन मिलेगी दोबारा आगे आया. संस्था ने पीड़ित परिवार को नि:शुल्क दो एंबुलेंस उपलब्ध करायी. जिससे तीनों का शव उनके पैतृक गांव बिहार के गया जिला के मोहनपुर थाना के मझियावा ले जाया गया.
मौके पर परिवार के लोग कह रहे थे कि सुरेंद्र विश्वकर्मा ने होटवार जेल में करोड़ों की लागत से स्थापित इंड्रस्ट्रीज के संचालन में अहम भूमिका निभायी. अनेकों कैदियों को हुनरमंद बनाया. लेकिन उनकी मौत हुई, तो विभाग ने मुंह फेर लिया. पीड़ित परिवार एक-एक पैसे के लिए मोहताज है़ जेल प्रशासन के रवैये से जेल में कार्यरत अस्थाई-दैनिक कर्मियों में काफी रोष है. उनका कहना है कि अपने अस्थाई-दैनिक कर्मी को कफन भी नहीं दे सकता है कारा विभाग. क्योंकि इन अल्प वेतन भोगी अस्थाई कर्मी के लिए कोई नियम या पोलिसी कारा विभाग के पास नहीं है़
एसोसिएशन दाेनों बहनों की शादी में पवन की मदद करेगा : राज्य कारा दैनिक कर्मी एसोसिएशन के अध्यक्ष पांडेय शिशिरकांत ने कहा कि एसोसिएशन पवन के साथ है. पवन की दोनों बहनों की शादी में एसोसिएशन हरसंभव सहयोग करेगा. एसोसिएशन का कहना है कि अस्थायी व दैनिक कर्मी कारा विभाग के लिए केवल स्टैक होल्डर हैं. विभाग में कोई दया, संवेदना नाम की चीज नहीं है.
हरमू मुक्ति धाम में हुआ इंद्रदेव शर्मा का अंतिम संस्कार : न्यू मधुकुम चुना भट्ठा में रहने वाले इंद्रदेव शर्मा का अंतिम संस्कार सोमवार को हरमू मुक्तिधाम में किया गया़ उनके बड़े पुत्र अवध किशोर ने मुखाग्नि दी़ इस दौरान न्यू मधुकम के लोग काफी संख्या में अंतिम संस्कार में शामिल हुए़
अस्थाई कर्मियों ने कहा : दैनिक कर्मियों को एक कफन भी नहीं दे सकता विभाग
पांच वर्षों में आठ अस्थाई-दैनिक कर्मी की असमय मौत
विगत पांच वर्षों में आठ अस्थाई-दैनिक कर्मी की असमय मृत्यु हुई है. लेकिन, विभाग की ओर से इनके परिजनों को एक रुपए की भी सहयोग राशि नहीं दी गयी़ वर्तमान में चार अस्थाई कक्षपाल बचे हैं. इनके अलावा 312 दैनिक कर्मी भी विभिन्न काराओं में विभिन्न पदों पर लंबे समय से कार्यरत हैं. लगभग आठ सौ अनुबंधित कक्षपाल हैं, जो स्वयं जैसे-तैसे गुजर-बसर कर दिन-रात की परवाह किये बिना कारा विभाग की सेवा कर रहे हैं.
गांव में हुआ अंतिम संस्कार, पवन ने दी मुखाग्नि
होटवार जेल के कक्षपाल सुरेंद्र विश्वकर्मा व उनकेदो पुत्र श्रवण विश्वकर्मा व अमित विश्वकर्मा उर्फ गोलू का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव मझियावा में हुआ. घर में बचे एकमात्र पवन विश्वकर्मा ने पिता व भाइयों को मुखाग्नि दी. सुरेंद्र विश्वकर्मा व उनके पुत्रों का शव गांव में पहुंचते ही पूरे गांव में मातम छा गया. पूरा गांव इस मौत पर सन्न था़
विभिन्न जेलों में नियुक्त अस्थाई कर्मी
पशुपति सिंह अस्थाई कक्षपाल मंडल कारा चाईबासा 23 जुलाई 2012
खगेन भंडारी सफाई कर्मी मंडल कारा जामताड़ा 05 सितंबर 2015
मारकांडे पाठक चालक होटवार जेल 30 नवंबर 2015
नाटू हरि सफाई कर्मी केंद्रीय कारा दुमका 07 अगस्त 2016
किशन वाल्मीकि सफाई कर्मी उप कारा घाटशिला 03 अप्रैल 2017
ललन प्रसाद चालक मंडल कारा गिरीडीह 24 मई 2017
शिव शंकर ठाकुर नाई मंडल कारा 19 अप्रैल 2018
सुरेंद्र विश्वकर्मा अस्थाई कक्षपाल होटवार जेल 20 मई 2018

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