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रांची : पहाड़िया लोगों ने छह एसटी उच्च विद्यालय बंद कराये

रांची : कल्याण विभाग की ओर से संचालित छह अनुसूचित जनजातीय (एसटी) उच्च विद्यालयों को पहाड़िया जनजाति के कुछ लोगों ने बंद करा दिया है. यहां बच्चों को नामांकन लेने से रोका जा रहा है. सभी विद्यालय संताल परगना प्रमंडल के हैं. इनमें दुमका जिले में एसटी आवासीय उच्च विद्यालय नकटी व गोपीकांदर, साहेबगंज जिले […]

रांची : कल्याण विभाग की ओर से संचालित छह अनुसूचित जनजातीय (एसटी) उच्च विद्यालयों को पहाड़िया जनजाति के कुछ लोगों ने बंद करा दिया है.
यहां बच्चों को नामांकन लेने से रोका जा रहा है. सभी विद्यालय संताल परगना प्रमंडल के हैं. इनमें दुमका जिले में एसटी आवासीय उच्च विद्यालय नकटी व गोपीकांदर, साहेबगंज जिले में एसटी आवासीय उच्च विद्यालय बांभी व बंदरकेला, पाकुड़ जिले में एसटी अावासीय उच्च विद्यालय हिरणपुर तथा गोड्डा जिले में एसटी आवासीय उच्च विद्यालय धमनी शामिल हैं. पहाड़िया लोगों की मांग है कि संबंधित विद्यालयों में सिर्फ पहाड़िया जनजाति के बच्चों का ही नामांकन हो.
गौरतलब है कि कल्याण विभाग के जनजातीय विद्यालयों में सभी जनजाति के बच्चों का नामांकन होता है. संताल में पहाड़िया जनजाति के बच्चों को जनजातीय विद्यालयों की कुल सीटों की करीब 25 फीसदी सीट पर नामांकन मिलता रहा है. पर पहाड़िया सौ फीसदी सीटों पर नामांकन चाहते हैं.
इसे लेकर विभाग में भी असमंजस की स्थिति हो गयी है. इधर, पहाड़िया समुदाय की अोर से अखिल भारतीय अादिम जनजाति विकास समिति ने झारखंड उच्च न्यायालय में नामांकन संबंधी याचिका भी दर्ज करायी है. वहीं, विभाग भी अपनी अोर से जवाब देने की तैयारी कर रहा है. सूत्रों के अनुसार इस समस्या की जड़ में पूर्व की लचर नामांकन प्रक्रिया थी, जो जिला स्तर पर आयोजित होती थी तथा इसमें हमेशा से गड़बड़ी की शिकायत मिलती थी. इस बार विभाग ने व्यवस्था में बड़ा सुधार करते हुए कल्याण विद्यालयों में नामांकन के लिए पहली बार केंद्रीकृत परीक्षा ली थी.
अोएमअार शीट पर ली गयी परीक्षा में मेधावी जनजातीय बच्चे सफल घोषित किये गये हैं. वहीं स्कूलों में पठन-पाठन संबंधी सुधार के लिए कई कदम उठाये गये हैं. इन कारणों से संबंधित विद्यालयों में पढ़ने की ललक भी ताजा समस्या की वजह हो सकती है.

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