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खादी के इस्तेमाल को तैयार नहीं है विभाग

संजय रांची : झारखंड सरकार का स्वास्थ्य विभाग राज्य में खादी के विकास के प्रति गंभीर नहीं दिख रहा है. यही वजह है कि केंद्र सरकार के आदेश का भी इस पर कोई असर नहीं हो रहा है. इधर, खादी से जुड़े लोग स्वास्थ्य विभाग सहित अस्पतालों को पत्र लिख कर करीब एक वर्ष से […]

संजय
रांची : झारखंड सरकार का स्वास्थ्य विभाग राज्य में खादी के विकास के प्रति गंभीर नहीं दिख रहा है. यही वजह है कि केंद्र सरकार के आदेश का भी इस पर कोई असर नहीं हो रहा है.
इधर, खादी से जुड़े लोग स्वास्थ्य विभाग सहित अस्पतालों को पत्र लिख कर करीब एक वर्ष से जवाब का इंतजार कर रहे हैं. दरअसल, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने वर्ष 2017 के शुरुआत में एक आदेश जारी किया था कि एम्स, पीजीआइ चंडीगढ़, जिपमर पुडुचेरी व निमहंस बेंगलुरु सहित अन्य अस्पतालों में खादी के कपड़ों व अन्य उत्पाद का इस्तेमाल होगा. इसके लिए मंत्रालय ने साबुन, डॉक्टर कोट, चादर, तौलिया व कंबल सहित कुल 45 आइटम की सूची तैयार की है. इसके बाद राष्ट्रीय खादी व ग्रामोद्योग आयोग ने मंत्रालय के आदेशानुसार सरकारी अस्पतालों में 45 किस्म के खादी कपड़ों का इस्तेमाल करने संबंधी सर्कुलर सभी राज्यों को भेजा था.
इसमें आयोग के राज्य व क्षेत्रीय कार्यालयों के निदेशकों से कहा गया था कि वे अपने राज्य में स्थित सरकारी अस्पतालों के लिए अपने किसी अधिकारी को नियुक्त कर अस्पतालों में विभिन्न मद के कपड़ों की वार्षिक जरूरतों का पता लगायें. इसके बाद झारखंड राज्य खादी ग्रामोद्योग आयोग ने विभिन्न अस्पतालों से संपर्क कर उनसे खादी के इस्तेमाल की बात कही, पर किसी ने इसका जवाब नहीं दिया. इधर, राज्य का खादी बोर्ड भी अपने स्तर से स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिखता रहा है.
आयोग का सर्कुलर आने के बाद हमने राज्य के सभी प्रमुख सरकारी अस्पतालों में संपर्क कर उन्हें मामले से अवगत कराया था, पर किसी अस्पताल ने इसमें रुचि नहीं दिखायी.
बीआर राम, प्रभारी निदेशक, झारखंड राज्य खादी व ग्रामोद्योग आयोग
खादी के कपड़े न सिर्फ इस्तेमाल में आरामदायक हैं, बल्कि सूती कपड़ों में सोखने की भरपूर क्षमता होती है. खादी के कपड़ों का इस्तेमाल स्वरोजगार से भी जुड़ा है. मैंने अपने स्तर से कम से कम 10 बार स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिख कर सरकारी अस्पतालों व स्वास्थ्य केंद्रों में खादी कपड़ों का इस्तेमाल शुरू करने का आग्रह किया है, पर हमें आज तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है. रिनपास, कांके राज्य का अकेला अस्पताल है, जो खादी कपड़ों का इस्तेमाल कर रहा है.
संजय सेठ, अध्यक्ष, झारखंड राज्य खादी व ग्रामोद्योग बोर्ड

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