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शरीर के कई हिस्से में होता है न्यूरो इंडोक्राइम ट्यूमर
मंथन. साइटो पैथोलाॅजी एंड हिस्टोपैथोलॉजी का छठा सम्मेलन संपन्न, दिल्ली के डॉ एमसी शर्मा ने कहा रिम्स ऑडिटोरियम में जुटे थे देश-विदेश के डॉक्टर, बीमारियों और उनके इलाज पर हुई चर्चा रांची : दिल्ली से आये डॉ एमसी शर्मा ने बताया कि शरीर के कई हिस्सों में न्यूरो इंडोक्राइम ट्यूमर होता है. यह मुख्यत: लंग्स, […]
मंथन. साइटो पैथोलाॅजी एंड हिस्टोपैथोलॉजी का छठा सम्मेलन संपन्न, दिल्ली के डॉ एमसी शर्मा ने कहा
रिम्स ऑडिटोरियम में जुटे थे देश-विदेश के डॉक्टर, बीमारियों और उनके इलाज पर हुई चर्चा
रांची : दिल्ली से आये डॉ एमसी शर्मा ने बताया कि शरीर के कई हिस्सों में न्यूरो इंडोक्राइम ट्यूमर होता है. यह मुख्यत: लंग्स, चेस्ट, पेंक्रियाज व पेट में होता है. मेडिकल साइंस में यह ट्यूमर क्यों होता है, इसकी ज्यादा जानकारी नहीं है. लेकिन ऐसा लगता है कि यह अनुवांशिक बीमारी है. वह रिम्स ऑडिटोरियम में चल रहे साउथ एशियन एकेडमी आॅफ साइटो पैथोलाॅजी एंड हिस्टोपैथोलॉजी के छठें सम्मेलन के अंतिम दिन रविवार को समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे.
डॉ शर्मा ने कहा इस बीमारी में दो प्रकार के ट्यूमर होते है, जिसमें एक ट्यूमर में हार्मोन नहीं बनता है. वहीं, दूसरे ट्यूमर में हार्मोन निकलता है. जिस ट्यूमर में हार्मोन निकलता है, उसकी सर्जरी कर निकाल देना चाहिए. मरीज को कई बार शूगर व बीपी बढ़ने की समस्या होती है. इसके बाद अलावा डायरिया का लक्षण भी हाेता है. कार्यक्रम में मुंबई से आये डॉ भारत रेखी ने महिलाओं में ओबेरियन कैंसर के कारण व इसके इलाज के बारे में विस्तार से जानकारी दी.
एसजीपीजीआइ से आये डॉ मनोज जैन ने वर्तमान में पैथोलॉजिकल जांच व उसकी नयी तकनीक के बारे में जानकारी दी. इसके अलावा रिम्स के डॉ सुधीर मिश्रा, डॉ आभा कुमारी आदि डॉक्टरों ने जानकार दी.
रांची : रिम्स के इएनटी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ पीके सिंह ने कहा कि कॉक्लियर इंप्लांट से जन्मजात दिव्यांग बच्चों (जिनमें सुनने की क्षमता नहीं है) की अावाज लायी जा सकती है. अगर समय पर इलाज शुरू होता है, तो बीमारी ठीक होने की संभावना ज्यादा रहती है. वह रविवार को होटल बीएनअार में कर्मचारी राज्य बीमा योजना के तहत इमर्जिंग ट्रेंड्स एंड अपडेट कार्यक्रम में इएसआइए के डॉक्टरों को जानकारी दे रहे थे.
उन्होंने कहा कि ऑपरेशन से छह माह पहले से बच्चेे की स्क्रीनिंग शुरू हो जाती है. इसके बाद बच्चों को बोलने का प्रशिक्षण शुरू कर दिया जाता है. ऑपरेशन के बाद स्पीच थेरेपी करायी जाती है. यह ऑपरेशन महंगा है, लेकिन इसमें सरकार सहयोग करती है. रिम्स में अबतक तीन बच्चों का इंप्लांट किया गया है.
रिम्स के सर्जरी विभाग के डॉ विनय प्रताप ने लेप्रोस्कोपी सर्जरी की नयी तकनीक व ऑपरेशन के बारे में डॉक्टरों को जानकारी दी. उन्होंने कहा कि लेप्रोस्कोपी सर्जरी से ऑपरेशन आसान हो गया है. इसमें मरीज को ज्यादा दिन तक अस्पताल में नहीं रहना पड़ता है और दर्द भी कम होता है. कार्यक्रम में डॉ एसके सिन्हा ने भी जानकारी दी. श्रम विभाग के विशेष सचिव राकेश कुमार सिंह ने कहा कि इएसआइ के डाॅक्टरों को अपडेट करने के लिए श्रम विभाग द्वारा कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है.
यह तीसरा सेमिनार है, जिसके माध्यम से डॉक्टरों में नयी जानकारी का आदान-प्रदान होता है. संचालन डॉ डीके सिन्हा व डॉ विनिता जया एक्का ने किया. आयोजन को सफल बनाने में डॉ परितोष व डॉ दिनेश कुमार ने योगदान दिया.
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