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राजबाला व पांडेय पर संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो नहीं चलने देंगे विधानसभा : कांग्रेस

रांची : प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ अजय कुमार ने प्रेस काॅन्फ्रेंस कर कहा कि सीएस और डीजीपी पर लगे आरोपों की जांच और उनको पद से हटाने की मांग को लेकर 16 जनवरी को विपक्षी दल राज्यपाल से मिलेंगे. उन्होंने कहा कि राज्य के संचालन की व्यवस्था आरोपी पदाधिकारियों को नहीं मिलनी चाहिए. दोनों अधिकारियों […]

रांची : प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ अजय कुमार ने प्रेस काॅन्फ्रेंस कर कहा कि सीएस और डीजीपी पर लगे आरोपों की जांच और उनको पद से हटाने की मांग को लेकर 16 जनवरी को विपक्षी दल राज्यपाल से मिलेंगे. उन्होंने कहा कि राज्य के संचालन की व्यवस्था आरोपी पदाधिकारियों को नहीं मिलनी चाहिए. दोनों अधिकारियों पर लगे संगीन आरोपों की न्यायिक जांच होनी चाहिए. लेकिन, रघुवर सरकार लोकतंत्र से खिलवाड़ कर रही है. सीएम ने प्रशासनिक ढांचे को ध्वस्त करने का ठान लिया है. न्यायालय के आदेश को भी सरकार और उनके पदाधिकारी नहीं मानते हैं.

जांच अब भी वहीं अटकी है
डॉ कुमार ने कहा कि मुख्य सचिव राजबाला वर्मा, डीजीपी डीके पांडेय और एडीजी अनुराग गुप्ता को पद से हटाने की मांग विधानसभा में उठायी जायेगी. इन तीनों अधिकारियों पर संतोषजनक जवाब नहीं मिलने तक विधानसभा नहीं चलने दी जायेगी. उन्होंने कहा : 2015 में पलामू के बकोरिया में फर्जी एनकाउंटर कराने के अलावा डीजीपी पर कई अन्य आरोप हैं. डीजीपी ने बकोरिया कांड के जांच अधिकारी सीआइडी के तत्कालीन एडीजी एमवी राव पर दबाव बनाते हुए कोर्ट की आदेश की परवाह नहीं करने को कहा. एमवी राव के द्वारा सरकार को लिखित पत्र में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि जब उन्होंने डीजीपी का आदेश नहीं माना, तो उनका तबादला कर दिया गया. इतना ही नहीं तबादला विशेष कार्य पदाधिकारी के रूप में कर दिया गया, जो कि स्वीकृत पद भी नहीं है. इसके अलावे जिस भी अधिकारी ने मामले की जांच में साहस दिखाया उसका तबादला कर दिया गया. तबादले के एक महीने बाद अब तक किसी भी अधिकारी को वहां जांच की जिम्मा देकर नहीं भेजा जा रहा है. जांच अब भी वहीं अटकी है.
संगीन आरोपों के मद्देनजर न्यायिक जांच की मांग
डीजीपी पर लगे हैं संगीन आरोप
मालूम हो कि वर्ष 2015 में 514 ग्रामीणों को नक्सली बता कर सरेंडर कराने के मामले में भी तत्कालीन आईजी, सीआरपीएफ डीके पांडेय थे. उन पर रांची आइजी रहते हुए 2014 के मनी लाउंड्रिंग मामले के आरोपियों को भी गिरफ्तारी से बचाने का आरोप है. उनके कार्यकाल में बुंडू में एक दलित बच्चे रूपेश स्वांसी के कस्टोडियल डेथ का मामला आज तक लंबित है. गिरिडीह के पारसनाथ में मोतिलाल बासकी को उग्रवादी बता कर पुलिस द्वारा मारे जाने का मामला इन्हीं के कार्यकाल में हुआ. इनकी कार्यशैली की वजह से धनबाद में पुलिस इंस्पेक्टर उमेश कच्छप को आत्महत्या के लिए मजबूर होना पड़ा.
सीएस ने नोटिस भेजे जाने पर भी नहीं दिया जवाब
दूसरी तरफ, राज्यसभा चुनाव प्रकरण में चुनाव आयोग के अनुशंसा के बावजूद आरोपी एडीजी पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी. वहीं राजबाला वर्मा पर भी लगे आरोप काफी गंभीर हैं. उनके कार्यकाल में भूख से पांच लोगों की मौत हो गयी. उन्होंने मंत्री सरयू राय के आदेश को दरकिनार करते हुए आधार से लिंक नहीं रहने के कारण राशन कार्ड रद्द करा दिया था. मंत्री ने भूख से हुई मौतों इसका सीधा जिम्मेवार मुख्य सचिव को ठहराया था. मोमेंटम झारखंड के आयोजन के दौरान हुए करार में वित्तीय अनियमितता बरतने का आरोप श्रीमती वर्मा पर लगा. फर्जी कंपनियों के साथ करार का मामला राज्य के सर्वोच्च पंचायत विधानसभा में भी उठाया गया. मुख्य सचिव चारा घोटाले मामले में सीबीआइ की तरफ से 22 से भी ज्यादा बार नोटिस भेजे जाने पर भी जवाब नहीं देती. उनके खिलाफ पीडब्ल्यूडी सचिव रहते हुए चाईबासा में सड़क निर्माण में फर्जीवाड़ा का आरोप सरकार में मंत्री सरयू राय लगा चुके हैं. जिसके बाद सड़क निर्माण पर रोक लगी. मामला एनजीटी के पास है. परंतु, सरकार ने मुख्य सचिव को अभय दान दे रखा है.
क्या एहसान का बदला उतार रहे हैं सीएम
डॉ कुमार ने कहा कि गृह सचिव के पद रहते हुए राजबाला वर्मा के द्वारा मैनहर्ट कंपनी के 19 करोड़ के घोटाले पर चुप्पी साध ली थी. तत्कालीन विजिलेंस आईजी एमवी राव ने तत्कालीन विजिलेंस कमीश्नर राजबाला वर्मा से तत्कालीन नगर विकास मंत्री रघुवर दास पर एफआईआर करने के लिए लिखा था. लेकिन, राजबाला वर्मा ने उस वक्त कोई कार्रवाई नहीं की थी. मुख्यमंत्री रघुवर दास उसी एहसान का बदला उतार रहे हैं. प्रेस कांफ्रेंस के दौरान प्रवक्ता राजेश ठाकुर, राजीव रंजन प्रसाद, लाल किशोर नाथ शाहदेव, नेली नाथन, अभिलाष साहू समेत अन्य उपस्थित थे.

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