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खूंटी से पदयात्रा कर पहुंचे, राज्यपाल से अनुसूचित क्षेत्र की जमीन बचाने की गुहार
रांची : भूमि अर्जन, पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकार व पारदर्शिता का अधिकार विधेयक- 2017 , भूमि बैंक व्यवस्था व प्रस्तावित तीन हाथी गलियारा परियोजनाओं पर रोक की मांग को लेकर मंगलवार, नौ जनवरी को खूंटी के उलिहातू से निकली आदिवासी सेंगेल आंदोलन की पदयात्रा गुरुवार को राजधानी पहुंची़ राजभवन के समक्ष सभा की […]
रांची : भूमि अर्जन, पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकार व पारदर्शिता का अधिकार विधेयक- 2017 , भूमि बैंक व्यवस्था व प्रस्तावित तीन हाथी गलियारा परियोजनाओं पर रोक की मांग को लेकर मंगलवार, नौ जनवरी को खूंटी के उलिहातू से निकली आदिवासी सेंगेल आंदोलन की पदयात्रा गुरुवार को राजधानी पहुंची़ राजभवन के समक्ष सभा की व राज्यपाल को तीन सूत्री मांग पत्र सौंपा़
आदिवासी सेंगेेल आंदोलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व मंत्री थियोडोर किड़ो ने कहा कि भूमि अर्जन, पुनर्वास व पुनर्व्यवस्थापन (झारखंड संशोधन) विधेयक को लागू होने से रोका जाये, क्योंकि यह केंद्र के भूमि अधिग्रहण कानून – 2013 में संशोधन करता है़ झारखंड सरकार यह संशोधन ला कर आदिवासी व मूलवासी जनता को जबरन उजाड़ने का षड्यंत्र कर रही है़
भूमि बैंक असंवैधानिक है, क्योंकि इसे सरकार द्वारा जबरदस्ती लागू किया जा रहा है़ इसे जनजातीय सलाहकार समिति के समक्ष उसकी सलाह के लिए कभी भी रखा नहीं गया़ यह मात्र एक कार्यकारी आदेश है़ यह वन अधिकार अधिनियम 2006 व केंद्रीय भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के अध्याय 2, 3 (2) व पेसा अधिनियम- 1996 का भी उल्लंघन है़
प्रस्तावित तीन हाथी गलियारा परियोजनाओं से लगभग पांच सौ गांव विस्थापित होंगे़ यह परियोजना पूर्णत: अनुसूचित क्षेत्र में है और अनुसूचित क्षेत्र आदिवासियों की सुरक्षा के लिए बनायी गयी एक संवैधानिक व्यवस्था है़ इस अवसर पर चंद्रदेव उरांव, पुष्पा टेटे, मार्शल बारला, नील जस्टिन बेक, दुर्गा कच्छप, विक्टर केरकेट्टा, राजेश एक्का, रितेश किड़ो, सिबिल कंडुलना, मार्शल खलखो, ज्योति भेंगरा, अमीन खान, 89 वर्षीय भोला पाहन सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल थे़
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