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वित्तीय कुप्रबंधन से पैदा होता है भ्रष्टाचार

रांची : वित्तीय कुप्रबंधन से भ्रष्टाचार पैदा होता है. भ्रष्टाचार पर सशक्त अध्ययन की जरूरत है, क्योंकि यह अब व्यापक होता जा रहा है. 1970 के दशक में इक्के-दुक्के प्रोफेशन में ही भ्रष्टाचार था. अब यह लगभग हर क्षेत्रों में पहुंच गया है. इस पर रोक लगाने के लिए वित्तीय प्रबंधन के साथ लोगों को […]

रांची : वित्तीय कुप्रबंधन से भ्रष्टाचार पैदा होता है. भ्रष्टाचार पर सशक्त अध्ययन की जरूरत है, क्योंकि यह अब व्यापक होता जा रहा है. 1970 के दशक में इक्के-दुक्के प्रोफेशन में ही भ्रष्टाचार था. अब यह लगभग हर क्षेत्रों में पहुंच गया है. इस पर रोक लगाने के लिए वित्तीय प्रबंधन के साथ लोगों को निजी व सार्वजनिक संपत्ति के अंतर को समझना होगा. उक्त विचार रविवार को खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय की पुस्तक समय का लेख पर चर्चा के दौरान उभर के सामने आये.
अशोक नगर स्थित अमलताश सभागार में मंत्री सरयू राय के अलावा वरिष्ठ पत्रकार व राज्यसभा सदस्य हरिवंश, विनाेबाभावे विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ रमेश शरण, अर्थशास्त्री हरिश्वर दयाल व वरिष्ठ पत्रकार अनुज सिन्हा समेत अन्य बुद्धिजीवियों ने कहा कि आज भी पुस्तक समसामयिक है. 25 वर्ष पहले श्री राय ने अपने आलेख के माध्यम से जिन बिंदुओं पर ध्यान आकृष्ट कराया था, उसकी अनदेखी का परिणाम आज देखने को मिल रहा है. चारा घोटाला समेत अन्य घोटाले इसके स्पष्ट परिणाम दर्शाते हैं.
भ्रष्टाचार ने विकास को अवरुद्ध किया : हरिश्वर
अर्थशास्त्री हरिश्वर दयाल ने कहा कि पुस्तक में विस्तार से उल्लेख किया गया कि केंद्र सरकार की अनदेखी की वजह से कैसे बिहार की अनदेखी हुई. राॅयल्टी निर्धारण में गड़बड़ी पर भी प्रकाश डाला गया है. वित्तीय कुप्रबंधन भ्रष्टाचार को जन्म देता है. भ्रष्टाचार ने विकास को अवरुद्ध किया है.
यही वजह है कि विकास गरीबी के अंश को कम नहीं कर पाया. बीएयू के कुलपति डॉ परविंदर कौशल ने कहा कि श्री राय का लेख वित्तीय प्रबंधन की कमियों पर ध्यान आकृष्ट कराता है. यह पुस्तक सरकार व ब्यूरोक्रेट्स के लिए मार्गदर्शक का काम करेगा. वरिष्ठ पत्रकार अनुज सिन्हा ने कहा कि यह पुस्तक वित्तीय गड़बड़ियों को दूर करने का रास्ता दिखाता है. राजनीतिज्ञ व ब्यूरोक्रेट्स को इस पुस्तक से सीख लेनी चाहिए. यह आइ ओपनर है. झारखंड व बिहार की कई बड़ी योजनाएं आज प्रासंगिक नहीं हैं.
इसका मूल्यांकन होना चाहिए. उन्होंने कहा कि श्री राय अपने लेख के माध्यम से सरकार को जागरूक रखें, ताकि गड़बड़ी नहीं हो सके. सामाजिक कार्यकर्ता अवध किशोर सिंह ने कहा कि पुस्तक में लेखक ने अपनी दूरदर्शी सोच का दर्शाया है. इसमें 25 साल पहले ही वित्तीय वर्ष जनवरी से दिसंबर तक करने की बात कही गयी है. उन्होंने कहा कि आज देश में महिलाओं की संख्या आधी है.
इसी के अनुरूप ही जेंडर बजट बनाने की जरूरत है. इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि ट्राइबल सब प्लान की राशि डाइवर्ट न हो. संचालन सामाजिक कार्यकर्ता सह पत्रकार विष्णु राजगढ़िया ने किया. मौके पर आरपी शाही, विकास सिंह, अमित झा, प्रेम मित्तल, आशीष शीतल, सुरजीत, संग्राम सिंह समेत कई बुद्धिजीवी मौजूद थे.

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