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कोर्ट ने रिम्स की रिपोर्ट नहीं मानी
सैन्य अस्पताल का मेडिकल बोर्ड करेगा अखिलेश के स्वास्थ्य की जांच मामले की अगली सुनवाई 15 जनवरी को होगी रांची : झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय की अदालत में बुधवार को बेहतर इलाज के लिए दुमका जेल से स्थानांतरित करने को लेकर अखिलेश सिंह द्वारा दायर क्रिमिनल याचिका पर सुनवाई हुई. अदालत ने रिम्स […]
सैन्य अस्पताल का मेडिकल बोर्ड करेगा अखिलेश के स्वास्थ्य की जांच
मामले की अगली सुनवाई 15 जनवरी को होगी
रांची : झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय की अदालत में बुधवार को बेहतर इलाज के लिए दुमका जेल से स्थानांतरित करने को लेकर अखिलेश सिंह द्वारा दायर क्रिमिनल याचिका पर सुनवाई हुई. अदालत ने रिम्स के तीन सदस्यीय मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया. साथ ही राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह सैन्य अस्पताल रांची के मेडिकल बोर्ड से अखिलेश सिंह के स्वास्थ्य की जांच कराये व जांच रिपोर्ट रिम्स को साैंपे अगली सुनवाई 15 जनवरी हो होगी.
रिम्स के तीन सदस्यीय मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट में एक चिकित्सक का हस्ताक्षर नहीं होने के संबंध में सरकार की अोर से अदालत को बताया गया कि मेडिकल बोर्ड के एक सदस्य पंकज बोदरा के छुट्टी पर रहने के कारण रिपोर्ट पर उनका हस्ताक्षर नहीं हो सका था.
स्वास्थ्य विभाग द्वारा अखिलेश सिंह की एक्स-रे व एमआरआइ की रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत की गयी थी. रिपोर्ट देखने के बाद अदालत ने पाया कि रिपोर्ट पर मेडिकल बोर्ड के तीन चिकित्सक सदस्यों में से एक चिकित्सक पंकज बोदरा का हस्ताक्षर नहीं है. इस पर अदालत ने सरकार से स्पष्टीकरण मांगा था. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी अखिलेश सिंह ने क्रिमिनल याचिका दायर कर सेंट्रल जेल दुमका से दूसरे जेल में स्थानांतरित करने की मांग की है. याचिका में कहा गया है कि 29 नवंबर को सेंट्रल जेल घाघीडीह जमशेदपुर से प्रार्थी को सेंट्रल जेल दुमका स्थानांतरित किया गया था. उसका स्वास्थ्य ठीक नहीं है. दुमका जेल में इलाज की व्यवस्था नहीं है. उसे किसी दूसरे जेल में स्थानांतरित किया जाये.
कामगारों की याचिका दूसरी बेंच में स्थानांतरित
झारखंड हाइकोर्ट में बुधवार को बिहार राज्य औद्योगिक विकास निगम (बीएसआइडीसी) के कर्मियों के बकाया भुगतान को लेकर दायर जनहित याचिकाअों पर आंशिक सुनवाई हुई.
एक्टिंग चीफ जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस अमिताभ कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने मामले में सुनवाई से इनकार करते हुए उसे दूसरी सक्षम बेंच में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी बीएसआइडीसी कामगार यूनियन की अोर से जनहित याचिका दायर कर वर्ष 1992 से कर्मियों के बकाया वेतनादि भुगतान की मांग की गयी है. कोर्ट के आदेश पर बीएसआइडीसी ने कामगारों के कई माह का वेतन भुगतान भी किया है.
रांची : झारखंड हाइकोर्ट में बुधवार को गोड्डा में चंदन नदी पर बननेवाले चंदन डैम (चानन डैम) के निर्माण को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस बीबी मंगलमूर्ति की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए डैम के विवाद पर केंद्र सरकार, बिहार सरकार व झारखंड सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.
खंडपीठ ने झारखंड सरकार से पूछा कि उसने बिहार सरकार को कितनी बार आैर कब-कब पत्र लिखा है. खंडपीठ ने झारखंड सरकार को पूरा ब्याेरा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. वहीं बिहार सरकार को झारखंड के पत्र के आलोक में की गयी कार्रवाई की विस्तृत जानकारी देने का निर्देश दिया.
केंद्र सरकार को यह बताने का निर्देश दिया कि दो राज्यों के इस विवाद को किस तरीके से सुलझाया जायेगा. खंडपीठ ने शपथ पत्र के माध्यम से सभी पक्षों को एक फरवरी तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. इससे पूर्व राज्य सरकार की अोर से खंडपीठ को बताया गया कि इस मामले में बिहार सरकार को कई बार पत्र लिखा गया है, लेकिन बिहार सरकार द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया है.
उल्लेखनीय है कि सांसद निशिकांत दुबे ने जनहित याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि चंदन डैम के निर्माण मामले में झारखंड व बिहार के बीच लंबे समय से विवाद कायम है. डैम का निर्माण कार्य लंबित है. इससे झारखंड के किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है.
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