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बीमारी से परेशान था छात्र फांसी लगाकर दे दी जान

दु:खद. लॉज में रह कर रहा था इंजीनियरिंग परीक्षा की तैयारी रांची : लालपुर थाना क्षेत्र के वर्द्धमान कंपाउंड स्थित लॉज में रहनेवाले छात्र 20 वर्षीय विवेक कुमार केसरी ने फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली. उसका शव शनिवार को दिन में लॉज के कमरे में रस्सी के सहारे पंखे से लटका मिला. सूचना मिलने […]

दु:खद. लॉज में रह कर रहा था इंजीनियरिंग परीक्षा की तैयारी

रांची : लालपुर थाना क्षेत्र के वर्द्धमान कंपाउंड स्थित लॉज में रहनेवाले छात्र 20 वर्षीय विवेक कुमार केसरी ने फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली. उसका शव शनिवार को दिन में लॉज के कमरे में रस्सी के सहारे पंखे से लटका मिला. सूचना मिलने पर पुलिस और एफएसएल की टीम वहां जांच के लिए पहुंची. पुलिस ने जांच के दौरान युवक के कमरे से एक सुसाइड नोट बरामद किया है. सुसाइड नोट में छात्र ने अपनी आत्महत्या की वजह बीमारी से परेशान होना बताया है. जानकारी के अनुसार विवेक कुमार केसरी मूल रूप से चौपारण के बीघा बाजार का रहनेवाला था. उसके पिता का नाम सियाराम केसरी है. वह एलआइसी एजेंट हैं.
विवेक कुमार ने डीएवी कपिलदेव से वर्ष 2016 में प्लस टू की परीक्षा पास की थी. वह पिछले चार महीने से वर्द्धमान कंपाउंड स्थित एक लॉज में रहकर लालपुर के एक कोचिंग संस्था से इंजीनियरिंग की कोचिंग कर रहा था. उसके साथ कमरे में उसका फुफेरा भाई प्रवीण कुमार केसरी भी रहता था. प्रवीण कुमार ने बताया कि वह करीब 10 बजे गुरुनानक स्कूल फीस जमा करने के लिए गया था. करीब डेढ़ घंटे बाद जब वह लौटा, तब उसे कमरे का दरवाजा बंद मिला. आवाज देने पर अंदर से किसी ने आवाज नहीं दी. तब उसे अनहोनी की आशंका हुई. धक्का देने पर जब कमरे का दरवाजा खुला, तो देखा कि विवेक पंखे से लटका हुआ है. प्रवीण ने बताया कि विवेक कुमार केसरी का गॉल ब्लाडर का ऑपरेशन हुआ था. ऑपरेशन होने के बावजूद उसे हमेशा दर्द रहता था. इस वजह से वह ठीक से न पढ़ाई कर पाता था और न ही सो पाता था. अपनी बीमारी की वजह से ही वह हमेशा परेशान रहता था.
सुसाइड नोट में लिखा : अब मुझे जीने की इच्छा नहीं
क्या लिखा सुसाइड नोट में
मां और पापा मुझे माफ कर देना. मैं यह कदम उठा रहा हूं और करता भी क्या. मुझसे अब और अधिक दर्द बर्दाश्त नहीं हो सकता. मेरा धैर्य खत्म हो चुका है. मैं जानता हूं कि मुझे कोई बड़ी बीमारी नहीं है, लेकिन मुझे परेशानी होती है. इस कारण मैं पढ़ नहीं पाता हूं. मेरा शरीर धीरे-धीरे गिरता जा रहा है. मुझे खाने का भी मन नहीं करता है. ऑपरेशन के बाद मैंने समझा कि सब ठीक हो पायेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. जिंदगी अब बोझ की तरह हो गयी है, इसलिए अब मुझे जीने की इच्छा नहीं होती है.

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