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”बा – अदब” में जुटे दिग्गज, ”साथ चलो जो सात कदम तुम, जीवन में भर जाएं रंग”

दिनांक 22 दिसंबर, दिन शुक्रवार को ‘शब्दकार’ ने अपने ‘बा-अदब’ कार्यक्रम में प्रसिद्ध गजलकार श्री शौक जालंधरी जी को आमंत्रित किया जिन्होंने अपनी रचना यात्रा भारत-पाक विभाजन और अन्य बहुत सारी बातें बतायीं, साथ में ही किस प्रकार उनको 19 वर्ष की उम्र में ग़ज़ल का शौक हुआ और किस प्रकार नरेश कुमार शाद जी […]

दिनांक 22 दिसंबर, दिन शुक्रवार को ‘शब्दकार’ ने अपने ‘बा-अदब’ कार्यक्रम में प्रसिद्ध गजलकार श्री शौक जालंधरी जी को आमंत्रित किया जिन्होंने अपनी रचना यात्रा भारत-पाक विभाजन और अन्य बहुत सारी बातें बतायीं, साथ में ही किस प्रकार उनको 19 वर्ष की उम्र में ग़ज़ल का शौक हुआ और किस प्रकार नरेश कुमार शाद जी और कैफ़ी आज़मी जी जैसे मूर्द्धन्य साहित्यकारों ने उनका मान बढ़ाया ,इन सब का विवरण देते हुए उन्होंने अपनी चुनिंदा रचनाओं का पाठ किया, जो देश भर में सराही जा चुकी हैं.

इस कार्यक्रम में बहुत सारे श्रोता-दर्शक उपस्थित हुए और उन अनुभवों एवं संस्मरणों और रचनाओं का खूब आनन्द लिया . अन्य विशिष्ट अतिथियों में डॉक्टर अशोक प्रियदर्शी ,डॉ हरिराम त्रिपाठी चेतन ,डॉक्टर पी के झा, डॉक्टर विद्याभूषण सियाराम झा सरस इत्यादि ने भी मंच से अपनी रचनाओं का पाठ किया ,जिनका सभी ने रसास्वादन किय. पहले सत्र का संचालन रश्मि शर्मा ने किया

दो चरणों में संपन्न इस कार्यक्रम के अगले चरण में शहर के अनेक कवियों एवं शायरों ने अपनी रचनाओं का पाठ
किया-जिनमें
अमिताभ प्रियदर्शी ने
"मैं गीत विरह के गाता हूं…
अधरों से जब-जब अधर मिले,
मैं मंद-मंद मुस्काता हूं।
मैं गीत…"
वीणा श्रीवास्तव ने एक प्रेम गीत सुनाया
"मैं तेरी हूँ तू मेरा है
जीवन भर का है ये संग
हृदय कुंज में प्रीत तुम्हारी
मैं तो केवल मीत तुम्हारी
साथ चलो जो सात कदम तुम
जीवन में भर जाएं रंग"
रश्मि शर्मा ने
"आज की रात
मैं लि‍ख सकती हूं
कुछ उदास पंक्‍ति‍यां
दर्द भरी याद के
छुपे कतरे"
संगीता कुजारा टॉक ने
"जो कभी आग की/ लपट की तरह भभकता है
या दबा रहता है/ मुझ में/ चिंगारी की तरह
खड़ा रहता है आस पास मेरे"
नन्दा पांडे ने
तो प्रियंका सिंह ने
"इश्क़ में खाई कसम तुझको भुलाते देखा’ है
प्यार मेरा भूल कर जो दिल लगाते देखा’ है
क्या तरस आया नहीं मुझ पर तुझे ए दिलनशीं
तोड़ कर मेरा भरोसा मुस्कुराते देखा है
राजीव थेपड़ा ने
" भागो भागो भागो भागो भागते रह जाओगे
खाली हाथ ही आए थे और खाली हाथ ही जाओगे
रिंकू चटर्जी ने फर्क नहीं पड़ता आंखों में बर्फ जम आई है या नहीं मोहम्मद निहाल जी ने
"बेकार कर रहे हैं गिले जिंदगी से हम,
देते हैं दोस्ती के सिले दुश्मनी से हम
नसीर अफ़सर ने
" कल तक जो मुझें रहते थे पलको में बिछाएं
लगते हैं मुझे आज वह इंसान पराए "
कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले अन्य रचनाकारों में
कुमार विजेंद्र ,प्रवीण परिमल,सारिका भूषण ,संध्या चौधरी शालिनी नायक,मयंक मुरारी ,नरेश बंका,सदानन्द कुमार,निरंजन प्रसाद श्रीवास्तव, विनोद कुमार ,इमरान और इनके अलावा बहुत सारे दर्शक श्रोताओं की मौजूदगी ने इस कार्यक्रम को जीवंतता प्रदान की, कार्यक्रम का संचालन शहर की प्रसिद्ध गजलकार श्रीमती रेनू त्रिवेदी मिश्रा ने किया, जिन्होंने अपनी गजलों से श्रोताओं को झुमाया भी

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