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राज्य के 230 प्लस टू स्कूलों में से 121 में गणित के शिक्षक नहीं

रांची: राज्य में लगातार इंटरमीडिएट साइंस का रिजल्ट खराब हो रहा है. प्रति वर्ष साइंस में आधे परीक्षार्थी फेल हो जाते हैं. रिजल्ट प्रकाशन के बाद प्रति वर्ष रिजल्ट में सुधार की कवायद शुरू होती है. कमेटी गठित की जाती है. कमेटी रिजल्ट में सुधार को लेकर सुझाव भी देती है. पर इसके बाद अगले […]

रांची: राज्य में लगातार इंटरमीडिएट साइंस का रिजल्ट खराब हो रहा है. प्रति वर्ष साइंस में आधे परीक्षार्थी फेल हो जाते हैं. रिजल्ट प्रकाशन के बाद प्रति वर्ष रिजल्ट में सुधार की कवायद शुरू होती है. कमेटी गठित की जाती है. कमेटी रिजल्ट में सुधार को लेकर सुझाव भी देती है. पर इसके बाद अगले वर्ष फिर रिजल्ट वहीं के वहीं रह जाता है.

इंटर में साइंस में परीक्षार्थियों की संख्या में भी बढ़ोतरी नहीं हो रही है. विद्यालयों में विज्ञान संकाय में शिक्षकों की भी काफी कमी है. 230 प्लस टू उच्च विद्यालय में से मात्र 109 में गणित के शिक्षक हैं. वहीं,136 में जीव विज्ञान, 130 में भौतिकी व 150 में रसायन के शिक्षक हैं. इनमें में भाैतिकी में 59 व रसायन में 123 शिक्षकों की नियुक्ति गत माह ही हुई है. ऐसे विद्यालयों की संख्या काफी कम है, जिसमें साइंस के सभी विषय के शिक्षक उपलब्ध हैं.

शिक्षकों की कमी के कारण रिजल्ट प्रभावित हो रहा है. यूजीसी के निर्देश के बाद भी राज्य में अंगीभूत (डिग्री) कॉलेजों से इंटरमीडिएट की पढ़ाई अलग नहीं हुई है. अंगीभूत कॉलेजों में इंटरमीडिएट का पाठ्यक्रम पूरा नहीं होता. राज्य के विवि में लागू पाठ्यक्रम के लिए वर्ष में 180 दिन कक्षाओं का संचालन आवश्यक है, जबकि इंटरमीडिएट की पढ़ाई के लिए वर्ष में कम से कम 220 दिन कक्षाएं होनी चाहिए. झारखंड एकेडमिक काउंसिल द्वारा अंगीभूत कॉलेजों में इंटर की पढ़ाई का सर्वे कराया गया था. इसमें पाया गया था कि अंगीभूत कॉलेजों में इंटर की पढ़ाई 100 दिन भी नहीं होती. राज्य में इंटरमीडिएट की पढ़ाई में एकरूपता भी नहीं है. इससे भी रिजल्ट प्रभावित हो रहा है.

हाइस्कूल शिक्षकों को दी गयी जिम्मेदारी
शिक्षकों की कमी के कारण प्लस टू स्कूलों में पठन-पाठन बाधित नहीं हो, इसलिए हाइस्कूल शिक्षकाें को भी प्लस टू विद्यालय में पठन-पाठन का निर्देश दिया गया है. वैसे प्लस टू विद्यालय जहां किसी विषय के शिक्षक नहीं हैं और संबंधित विषय के हाइस्कूल के शिक्षकों को कक्षा लेने का निर्देश दिया गया है. इसके अलावा वैसे विद्यालय जहां किसी विषय में हाइस्कूल व प्लस टू दोनों के शिक्षक हैं, वहां से एक शिक्षक को वैसे विद्यालय में भेजने को कहा गया है, जहां शिक्षक नहीं हैं.
स्कूलों में नहीं होती प्रायोगिक कक्षाएं
राज्य में हाइस्कूल को ही प्लस टू उच्च विद्यालय में अपग्रेड किया गया है. प्लस टू उच्च विद्यालय के लिए अलग से प्राचार्य की नियुक्ति नहीं की गयी है. विद्यालयों में प्रयोगशाला सहायक नहीं है. प्लस टू उच्च विद्यालय के लिए अलग से प्रयोगशाला नहीं है. जहां प्रयोगशाला है, उनमें से अधिकांश क्रियाशील नहीं है. विद्यालयों में प्रायोगिक कक्षाएं प्रावधान के अनुरूप नहीं होती है.
वर्षवार इंटरसाइंस का रिजल्ट
वर्ष परीक्षार्थी पास प्रतिशत
2008 62980 50.29
2009 73197 50.39
2010 85779 30.33
2011 10433 33.70
2012 108854 48.37
2013 81831 38.28
2014 82945 63.65
2015 79385 63.88
2016 87307 58.36
2017 91593 52.36
प्लस टू स्कूल में विषयवार शिक्षक
विषय पद कार्यरत
गणित 230 109
जीवविज्ञान 230 136
भौतिकी 230 130
रसायन 230 150
अंग्रेजी 230 95

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