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हिंदी बोलने पर पट्टा डाल घुमाने का मामला, मंत्री ने जांच का आदेश दिया, स्कूल में भी बैठक

रांची: सेंट्रल एकेडमी कांके में हिंदी में बात करने पर बच्चे को सजा देने के मामले की जांच होगी. स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग की मंत्री डॉ नीरा यादव ने मामले की जांच का अादेश दिया है. जिला शिक्षा अधीक्षक शिवेंद्र कुमार मामले की जांच कर रिपोर्ट देंगे. जांच में अगर विद्यालय प्रबंधन दोषी पाया […]

रांची: सेंट्रल एकेडमी कांके में हिंदी में बात करने पर बच्चे को सजा देने के मामले की जांच होगी. स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग की मंत्री डॉ नीरा यादव ने मामले की जांच का अादेश दिया है. जिला शिक्षा अधीक्षक शिवेंद्र कुमार मामले की जांच कर रिपोर्ट देंगे. जांच में अगर विद्यालय प्रबंधन दोषी पाया गया, तो स्कूल पर कार्रवाई की जायेगी. शिक्षा मंत्री ने कहा है कि विद्यालय में अंग्रेजी में बात नहीं करने पर बच्चे को दंड देना गलत है.

उन्होंने कहा कि इस संबंध में सभी स्कूलों को अलग से दिशा-निर्देश भी जारी किया जायेगा. उल्लेखनीय है कि सेंट्रल एकेडमी कांके में हिंदी में बातचीत करने पर विद्यार्थी को तख्ती लेकर सभी क्लास में घुमाने का मामला सामने आया है. मामले को लेकर बुधवार को अभिभावकों का प्रतिनिधिमंडल भी शिक्षा मंत्री से मिला. प्रतिनिधिमंडल ने शिक्षा मंत्री से विद्यालय पर कार्रवाई की मांग की.

स्कूल प्रबंधन ने अभिभावकों के साथ की बैठक : सेंट्रल एकेडमी स्कूल में छात्रों द्वारा हिंदी में बात करने पर तख्ती लेकर घुमाने के मामले में स्कूल प्रबंधन की बैठक हुई. इस बाबत स्कूल के निदेशक डॉ हरीश संकृत्यायन ने बताया कि स्थानीय अखबारों में प्रकाशित खबर की जानकारी उन्हें बुधवार की सुबह मिली. इसके बाद ही प्राचार्य और अभिभावकों के साथ आवश्यक बैठक बुलायी गयी. बैठक में अभिभावकों ने कहा कि बच्चों को अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में पढ़ने के लिए स्कूल भेजते हैं.

हमलोगों को कोई शिकायत नहीं है. जिस बच्चे को मंगलवार को स्कूल परिसर में दंडित किया गया था, उसके अभिभावक को भी बुलाया गया था. विद्यालय के निदेशक ने प्राचार्य जैकब थॉमस से आग्रह किया कि वे बच्चों को किसी भी तरह की सजा नहीं देने का आदेश जारी करें. इसके लिए लिखित आदेश भी प्राचार्य को दिया गया. डॉ हरीश ने कहा कि स्कूल में शिक्षकों को भी सख्त हिदायत दी गयी है कि वे भविष्य में बच्चों को मानसिक और शारीरिक दंड न दें. इससे बच्चों की मन:स्थिति पर बुरा असर पड़ता है. उन्होंने अभिभावकों से विद्यालय प्रबंधन के इस निर्णय पर सहयोग करने की अपील भी की.

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