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रामगढ़ के लोलो गांव के मामले में लोकायुक्त ने की कार्रवाई, सिंचाई तालाब घोटाला मामले में बीडीओ-सीओ सहित छह संलिप्त

रांची : सिंचाई तालाब निर्माण गड़बड़ी मामले में रामगढ़ के तत्कालीन बीडीओ गौरांग महतो आैर तत्कालीन अंचलाधिकारी राम कुमार मंडल सहित छह लोग फंस गये हैं. गुरुवार को मामले की सुनवाई के बाद सभी के खिलाफ लोकायुक्त जस्टिस डीएन उपाध्याय ने कार्रवाई करने का आदेश दिया है. मामला, रामगढ़ जिले के लाेलो गांव से जुड़ा […]

रांची : सिंचाई तालाब निर्माण गड़बड़ी मामले में रामगढ़ के तत्कालीन बीडीओ गौरांग महतो आैर तत्कालीन अंचलाधिकारी राम कुमार मंडल सहित छह लोग फंस गये हैं. गुरुवार को मामले की सुनवाई के बाद सभी के खिलाफ लोकायुक्त जस्टिस डीएन उपाध्याय ने कार्रवाई करने का आदेश दिया है. मामला, रामगढ़ जिले के लाेलो गांव से जुड़ा है.

लोकायुक्त ने अपने आदेश में कहा है कि सभी के खिलाफ तीन सप्ताह में कार्रवाई कर जांच प्रतिवेदन देने को कहा है. उन्होंने बीडीओ-सीओ के खिलाफ कार्मिक विभाग की प्रधान सचिव और रामगढ़ के तत्कालीन प्रखंड कृषि प्रसार पदाधिकारी अनिल कुमार सिन्हा के खिलाफ कृषि सचिव को कार्रवाई करने को कहा है. वहीं रामगढ़ अंचल के तत्कालीन पंचायत सेवक सहदेव महतो, योजना अध्यक्ष नागेश्वर मुंडा और योजना सचिव रामदेव मुंडा पर कार्रवाई करने का आदेश रामगढ़ डीसी को दिया है.
क्या है मामला
लोकायुक्त ने अपने आदेश में कहा है कि बिना भूमि की जांच कराये सुखाड़ मद की योजना संख्या 27/2005-2006 की अनुशंसा तत्कालीन अंचलाधिकारी राम कुमार मंडल ने मौजा : लोलो, खाता संख्या 184, प्लाॅट संख्या 3710 पर की. जबकि लोलो मौजा में प्लाॅट संख्या 3710 का कोई अस्तित्व ही नहीं था. मंडल ने योजना की अनुशंसा के पूर्व न तो प्रस्तावित स्थल की जांच की और न ही रामगढ़ अंचल में उपलब्ध प्लांट संख्या 3710 से संबंधित दस्तावेजों की जांच ही की. योजना के कार्य प्रारंभ होने की स्थिति में मंडल को गड़बड़ी की जानकारी हो गयी. फिर भी किसी पूर्वानुमति के स्थल परिवर्तन कर मौजा लोलो के अन्य खाता संख्या 41, प्लाॅट संख्या 3210 पर सिंचाई तालाब का निर्माण कार्य करवा दिया. वहीं सिर्फ कनीय अभियंता की मापी पर ही योजना का अभिलेख बंद कर दिया. योजना संख्या 7/2006-2007 के क्रियान्वयन के पूर्व तत्कालीन बीडीओ गौरांग महतो द्वारा स्थल की जांच नहीं करायी गयी. जबकि किसी भी अभिलेख में प्रस्तावित स्थल का खाता संख्या तथा प्लाॅट संख्या अंकित नहीं था. इस योजना को लेकर आमसभा की कार्यवाही में अध्यक्ष नागेश्वर मुंडा, सचिव रामदेव मुंडा और पंचायत सेवक सहदेव महतो द्वारा जानबूझकर योजना स्थल का विवरणी स्पष्ट नहीं किया गया. इसके अलावा नागेश्वर मुंडा ने भू-राजस्व मंत्री को सिंचाई तालाब निर्माण के लिए पत्र लिखा था, जिसकी अनुशंसा पंचायत सेवक सहदेव महतो द्वारा की गयी थी. जबकि प्रस्तावित सिंचाई तालाब मौजा लोलो के खाता संख्या 184, प्लॉट संख्या 3201 पर पहले से निर्मित था. तत्कालीन पर्यवेक्षक सह प्रखंड कृषि पदाधिकारी अनिल कुमार सिन्हा ने पांच दिसंबर 2006 को ग्राम लोलो के खाता संख्या 41, प्लॉट संख्या 3201, 3296, कुल रकबा 7.32 एकड़ के रैयती जमीन होने की रसीद नागेश्वर मुंडा के नाम से कटने संबंधी प्रतिवेदन दिया गया. जबकि वहां पर पहले से तालाब निर्मित था. योजना संख्या 7/2006-2007 का कार्य शुरू होने से पहले अभिकर्ता द्वारा पूर्व निर्मित तालाब से सटकर निर्माण करने संबंधी संयुक्त शिकायत कनीय अभियंता, पर्यवेक्षक और पंचायत सेवक द्वारा बीडीओ गोरांग महतो से की गयी. लेकिन बीडीओ ने इस पर काेई संज्ञान नहीं लिया. वहीं बीडीओ द्वारा विपत्र बनाने के लिए दबाव डालने के कारण 13,100 रुपये सरकारी राजस्व की क्षति हुई. योजना अध्यक्ष नागेश्वर मुंडा और सचिव रामदेव मुंडा को मौजा लोलो के खाता संख्या 182 में प्लॉट संख्या 3210 के नहीं हाेने की जानकारी पूर्व से थी. बावजूद इसके इन्होंने लोलो के खाजा संख्या 41 में प्लॉट संख्या 3201 पर पूर्व में निर्मित सिंचाई तालाब पर ही आंशिक मजदूरी भुगतान प्राप्त किया. वहीं शेष मजदूरी भुगतान के लिए लोकायुक्त के यहां शिकायत की.

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