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झरिया: प्रशासन की लापरवाही से बैद्यनाथ की मौत

झरिया. झरिया के ताराबागान में रिक्शा चालक बैद्यनाथ की मौत मामले की जांच करने सोमवार को रांची से टीम उसके घर पहुंची. राजबाड़ी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जाकर मृतक की पत्नी पार्वती देवी से भी मिली. टीम में शामिल सुप्रीम कोर्ट आयुक्त के राज्य सलाहकार बलराम ने कहा कि सिमडेगा में संतोषी की मौत के बाद […]

झरिया. झरिया के ताराबागान में रिक्शा चालक बैद्यनाथ की मौत मामले की जांच करने सोमवार को रांची से टीम उसके घर पहुंची. राजबाड़ी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जाकर मृतक की पत्नी पार्वती देवी से भी मिली. टीम में शामिल सुप्रीम कोर्ट आयुक्त के राज्य सलाहकार बलराम ने कहा कि सिमडेगा में संतोषी की मौत के बाद झरिया में बैद्यनाथ दास की मौत होने की जानकारी मिली.

उन्होंने कहा कि जांच के बाद पता चला कि सैकड़ों गरीब परिवार को राशन कार्ड तक नहीं मिला है. इससे गरीब परिवार परेशान हैं. कहा कि राइट टू फूड एक्ट बनाने का मकसद था कि किसी भी गरीब की मौत भूख से नहीं हो. सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का अधिकारियों द्वारा उल्लंघन किया गया है. उन्होंने कहा कि रिक्शा चालक बैद्यनाथ की मौत स्थानीय प्रशासन की लापरवाही से हुई है. जांच रिपोर्ट तैयार कर उच्च अधिकारियों को भेजी जायेगी. टीम के सदस्य व पत्रकार डॉ विष्णु राजगढ़िया ने कहा कि आधार लिंक के नाम पर जिला प्रशासन मनमानी कर रहा है, जबकि सर्वोच्च न्यायालय का सख्त आदेश है कि राशन कार्ड में आधार लिंक करना जरूरी नहीं है. टीम में राइट टू फूड अभियान के अशर्फी नंद प्रसाद, धीरज कुमार,तारामणि, आकाश रंजन थे.

भूख से नहीं, बीमारी से हुई बैद्यनाथ की मौत
झरिया के रिक्शा चालक बैद्यनाथ दास की मौत भूख से नहीं बल्कि बीमारी से हुई है. वह परिवार के अकेला कमाऊ सदस्य नहीं थे. यह बातें सोमवार को उपायुक्त ए दोड्डे द्वारा खाद्य आपूर्ति विभाग के सचिव विनय चौबे को भेजी गयी जांच रिपोर्ट में कही गयी है. मामले की जांच तीन सदस्यीय टीम द्वारा करायी गयी. टीम में एडीएम शशि प्रकाश झा, एसडीएम अनन्य मित्तल एवं झरिया सीओ केदारनाथ सिंह शामिल थे. जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट डीसी को सौंपी. जांच टीम के अनुसार, बैद्यनाथ कुछ दिनों से बीमार थे. लेकिन, उनका उपचार न तो किसी सरकारी और न ही निजी अस्पताल या डॉक्टर से कराया गया. आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण बैद्यनाथ की पत्नी व बच्चे भी साधारण काम करते हैं. परिवार के समक्ष आर्थिक परेशानी तो थी, लेकिन, भोजन की कमी की बात गलत है. जिस दिन बैद्यनाथ की मौत हुई थी. उस दिन भी उसके घर में खाना बना था. हालांकि, परिजनों के बयान को कोट करते हुए कहा कि मौत के दिन बैद्यनाथ ने खाना नहीं खाया था.
जिम्मेदारों की हो रही पहचान
रिपोर्ट के अनुसार, बैद्यनाथ की पत्नी ने 22 सितंबर को राशन कार्ड के लिए ऑनलाइन आवेदन दिया था. जबकि जांच के लिए हार्ड कॉपी 18 अक्तूबर को आपूर्ति विभाग को मिला. किसके लॉग इन में था जांच का आवेदन. इसकी जांच हो रही है. परिजनों को समय पर राशन कार्ड मुहैया कराने में अगर विलंब हुआ तो उसके लिए कौन जिम्मेवार है. इसकी जांच हो रही है.

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