- उत्पाद संबंधी मामलों के लिए बने विशेष न्यायालय, स्पेशल पीपी की हो व्यवस्था
- मिथाइल अल्कोहल रूल के प्रावधानों को कड़ा करने की जरूरत
- उत्पाद विभाग की जरूरत के मुताबिक कर्मियों की हो नियुक्ति
- हर शराब फैक्ट्री में एक केमिस्ट केमिस्ट स्थायी तौर पर होने चाहिए.
- अवैध शराब कारोबारियों पर कार्रवाई के लिए पुलिस और उत्पाद विभाग की जिला स्तर पर संयुक्त प्रभावी टीम होनी चाहिए.
- जैप और नेपाल हाउस के पास से अतिक्रमण हटाया जाये
- थानों में पदस्थापित पुलिसकर्मियों की ड्यूटी 12 घंटे से ज्यादा नहीं होनी चाहिए
- विधि व्यवस्था और अनुसंधान के लिए पुलिस की अलग-अलग टीम की जरूरत. तभी आरोपियों के विरुद्ध जांच जल्द पूरी होगी और उन्हें सजा भी दिलायी जा सकेगी.
- जहरीली शराब कांड की जांच के दौरान पुलिस को निष्पक्ष होकर आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज करना चाहिए
- गरीबी और अशिक्षा के कारण लोग अवैध शराब का सेवन सस्ता होने के कारण करते हैं. ऐसे लोगों को प्रचार-प्रसार कर अवैध शराब के दुष्परिणाम से अवगत कराना चाहिए. इसके लिये स्कूल स्तर पर और स्वयंसेवी संस्थाओं की मदद ली जा सकती है.
- जहरीली शराब की घटना सामने आने पर त्वरित कार्रवाई करने की जरूरत है. दोषियों की पहचान के साथ पीड़ित का इलाज जल्द से जल्द हो
- विशेष शाखा को भी चाहिए कि वह सूचना तंत्र को और मजबूत करे और ऐसे मामलों में समय पर सूचना संग्रह कर पुलिस को सूचित करे. ताकि आरोपियों को समय रहते पकड़ा जा सके.
- जिला स्तर पर अवैध शराब की रोकथाम के लिए कमेटी बननी चाहिए. इसमें डीसी, एसएसपी, एसपी के अलावा अन्य अफसरों और स्वयंसेवी संस्थाआें को शामिल किया जाना चाहिए.
- पर्व के पूर्व ही जिला पुलिस और उत्पाद विभाग द्वारा अवैध शराब की रोकथाम के लिए सघन अभियान चलाया जाना चाहिए.
- अवैध शराब के कारोबार की कोई सूचना देता है, तो उसको पुरस्कृत किये जाने की भी व्यवस्था होनी चाहिए.
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जहरीली शराब के शिकार हुए, तो भगवान मालिक किसी भी अस्पताल में एंटीडॉट उपलब्ध नहीं
रांची : अगर आप जहरीली शराब के शिकार हो गये हैं, तो आपका भगवान ही मालिक है. क्योंकि इसके शिकार लोगों की इलाज के लिए राजधानी में इलाज की मुकम्मल व्यवस्था नहीं है. टीम ने जांच में पाया कि राजधानी में जहरीली शराब की घटना के बाद मेथानॉल का एंटीडॉट रांची के किसी अस्पताल में […]
रांची : अगर आप जहरीली शराब के शिकार हो गये हैं, तो आपका भगवान ही मालिक है. क्योंकि इसके शिकार लोगों की इलाज के लिए राजधानी में इलाज की मुकम्मल व्यवस्था नहीं है. टीम ने जांच में पाया कि राजधानी में जहरीली शराब की घटना के बाद मेथानॉल का एंटीडॉट रांची के किसी अस्पताल में मौजूद नहीं था. न ही बाजार में ही इसकी उपलब्धता थी. जांच टीम ने अनुशंसा की है कि राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में निश्चित मात्रा में एंटीडॉट की व्यवस्था होनी चाहिए.
टीम ने यह भी पाया कि सभी चिकित्सक मेथानॉल के प्रभाव को कम करने या दूर करने की विधि से पूर्णत: अभ्यस्त नहीं हैं. उन्हें समय-समय पर प्रशिक्षित करने की जरूरत है. मेथानॉल के प्रभाव को डायलायसिस से कम किया जा सकता है. ऐसे में यह जरूरी है कि मरीजों के लिए मुफ्त में डायलायसिस की व्यवस्था हो, क्योंकि पीड़ित लोग गरीब तबके के होते हैं. जबकि डायलायसिस महंगा होता है. टीम ने हर जिले में कम से कम एक नशा मुक्ति केंद्र की स्थापना को आवश्यक बताया है.
टीम ने यह भी कहा है कि जिला अस्पतालों में वेंटिलेटर और ऑक्सीजन की व्यवस्था निश्चित तौर पर होनी चाहिए. निजी अस्पतालों के रवैये को लेकर भी दिशा-निर्देश दिये जाने की जरूरत है.
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