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10 साल से अधूरी हैं ग्रामीण सड़क की 100 योजनाएं

रांची : ग्रामीण सड़क की 100 से अधिक योजनाएं करीब 10 साल से अधूरी पड़ी हैं. इनमें से कुछ योजनाअों का काम तो छह साल पहले ही बंद हो गया था, जबकि बड़ी संख्या में ऐसी भी योजनाएं है, जिनका काम वर्ष 2006-07 में शुरू हुआ था, जो 50 या 75 फीसदी पूरा होकर बंद […]

रांची : ग्रामीण सड़क की 100 से अधिक योजनाएं करीब 10 साल से अधूरी पड़ी हैं. इनमें से कुछ योजनाअों का काम तो छह साल पहले ही बंद हो गया था, जबकि बड़ी संख्या में ऐसी भी योजनाएं है, जिनका काम वर्ष 2006-07 में शुरू हुआ था, जो 50 या 75 फीसदी पूरा होकर बंद हो गया. सारी सड़कें प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की है. अधिकतर योजनाएं गुमला, सिमडेगा, लोहरदगा, लातेहार, चतरा, पश्चिमी सिंहभूम सहित अन्य जिलों की हैं. इन अधूरी योजनाअों को पूरा कराने की दिशा में अब पहल भी बंद कर दी गयी है. कुल मिला कर सारी योजनाएं ऐसी ही पड़ी हैं. इससे ग्रामीणों को सबसे ज्यादा दिक्कतें हो रही है. उन्हें अधूरी बनी सड़क से होकर आने-जाने में परेशानी हो रही है. यानी रोड कनेक्टिविटी बेहतर करने की योजना गड़बड़ा गयी.
उग्रवाद के कारण बंद हुई योजना: जानकारी के मुताबिक अधिकतर योजनाएं उग्रवादी घटनाअों की वजह से बंद हुई थी. कई काम उग्रवादियों की धमकी के कारण बंद हो गये थे. कहीं-कहीं पर उग्रवादियों ने लेवी की मांग की थी, तो कहीं-कहीं पर हमला कर सड़क निर्माण से संबंधित उपकरणों को जला दिया था. कई घटनाअों को लेकर अलग-अलग थानों में प्राथमिकी भी दर्ज करायी गयी थी. उग्रवादी घटना या धमकी के बाद से योजनाएं बंद हो गयी, जो बाद में चालू नहीं हुई.
बचे काम को फिर से कराने पर हुई थी बात : तीन साल पहले इन योजनाअों को पूरा कराने पर विचार-विमर्श किया गया था. इसे लेकर आला अफसरों ने यह भी बात की थी कि शेष कार्यों की मापी करा ली जाये, फिर इसका काम नये इस्टीमेट से करा दिया जाये. पहले जो काम हुए हैं, उसकी भी मापी हो और देख लिया जाये कि ठेकेदार को कितना भुगतान हुआ है. ज्यादा भुगतान है, तो राशि ली जाये और भुगतान कम है, तो उसे पैसे दिये जायें. पर इसमें कुछ नहीं हुआ.
फंसे हुए हैं विभाग व ठेकेदार : सरकार व विभाग के स्तर पर इसमें कुछ नहीं हुआ. नतीजतन ठेकेदार व विभाग दोनों फंसे रह गये. ठेकेदारों का काफी पैसा फंस गया, जबकि विभाग अपनी योजनाअों को पूरा नहीं करने में सफल नहीं हो सका.

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