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विधानसभा नियुक्ति घोटाले की जांच करनेवालों को मिली धमकी

रांची: विधानसभा में नियुक्ति व प्रोन्नति घोटाले की जांच कर रहे चार कर्मचारियों को गुरुवार काे गरदन काट लेने की धमकी दी गयी. घटना विधानसभा परिसर स्थित जांच आयोग के कार्यालय में दिन के 12.30 बजे की है. इस घटना से आयोग के कर्मी दहशत में हैं. उन्होंने काम नहीं किया. उस वक्त अायोग के […]

रांची: विधानसभा में नियुक्ति व प्रोन्नति घोटाले की जांच कर रहे चार कर्मचारियों को गुरुवार काे गरदन काट लेने की धमकी दी गयी. घटना विधानसभा परिसर स्थित जांच आयोग के कार्यालय में दिन के 12.30 बजे की है. इस घटना से आयोग के कर्मी दहशत में हैं. उन्होंने काम नहीं किया. उस वक्त अायोग के अध्यक्ष जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद कार्यालय में नहीं थे.

लौटने पर उन्हें घटना की जानकारी दी गयी. सूत्रों के अनुसार धमकी देनेवाले विधानसभा कर्मी की पहचान हो गयी है़ विधानसभा अध्यक्ष ने संबंधित कर्मी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए लिखा है. उसे शो-कॉज भी किया जा रहा है. आयोग के एक कर्मचारी के अनुसार अध्यक्ष इस घटना से काफी गुस्से में थे. उन्होंने कहा : वह रहते, तो संबंधित लोगों को गिरफ्तार करा देते. सूचना के मुताबिक धमकी देनेवाला विधानसभा में अवर सचिव रैंक का पदाधिकारी है. वह आयोग के कर्मचारियों से कोई कागजात लेना चाह रहा था, जिसे देने से इनकार कर दिया गया. कर्मचारियों ने कहा : वह इस मुद्दे पर अध्यक्ष से बात करें. इसी के बाद उक्त पदाधिकारी ने कर्मचारियाें को धमकाया. उसके साथ आये विधानसभा के तीन अन्य कर्मी भी वहीं मौजूद थे.

गौरतलब है कि झारखंड विधानसभा में नियुक्ति-प्रोन्नति में हुए इस चर्चित घोटाले की जांच एक जांच अायोग बना कर करायी जा रही है. मामला करीब पांच सौ अवैध नियुक्ति व प्रोन्नति से जुड़ा है. झारखंड उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद इस जांच आयोग के अध्यक्ष हैं.
नामधारी-अालम के कार्यकाल में हुई नियुक्तियां
झारखंड विधानसभा में नियुक्तियों में बड़े पैमाने पर अनियमितता हुई है. नियम-कानून को ताक पर रख कर बहाली की गयी. स्पीकर रहे इंदर सिंह नामधारी और आलमगीर आलम के समय हुई नियुक्तियों पर सवाल उठे. श्री नामधारी ने 274 और आलमगीर आलम ने 324 नियुक्तियां कीं. इन नियुक्तियों में नेताओं के करीबियों को उपकृत किया गया.

एक खास इलाके से लोगों की बहाली की गयी. राज्यपाल ने अनुसेवक के 75 पद स्वीकृत किये. विधानसभा ने 150 लोगों को बतौर अनुसेवक भर लिया. 75 अतिरिक्त पद आज तक पद वर्ग समिति से स्वीकृत नहीं कराये गये. राज्यपाल ने विधानसभा नियुक्तियों को लेकर जब जवाब-तलब किया, तो आयोग का गठन हुआ. विक्रमादित्य आयोग को जांच के लिए समय अवधि में विस्तार दिया गया़ कुछ माह बात विक्रमादित्य आयोग राज्यपाल को रिपोर्ट सौंप सकती है़ जांच पूरी होने की दिशा में है़

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