श्री राज ने कहा कि सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि आरक्षण को उस बिंदु पर ले आयेंगे कि आरक्षण होने, न होने में अंतर नहीं रह जायेगा़ इसलिए हमें सड़क पर लड़ाई लड़नी होगी़ यदि नहीं लड़े, तो कोई बचाने वाला नहीं होगा़ इसके लिए आरएसएस कार्यकर्ताओं जैसे समर्पण की जरूरत है़ उनकी तुलना में हम कहां हैं? वे ऐसे तपते हैं कि उन्हें हिंदुत्व के अलावा कुछ नहीं दिखता़
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आदिवासियों, दलितों से छिन रही आरक्षण की पूंजी : उदित
रांची: जनतंत्र में सबसे बड़ी ताकत संख्याबल की होती है. इसके बाद भी झारखंड में आदिवासियों व दलितों को उनकी आबादी के अनुपात में हिस्सेदारी नहीं मिली है़ पूंजी के नाम पर यदि कुछ है, तो वह आरक्षण ही है़ लेकिन अब यह पूंजी भी जा रही है़ ये बातें सांसद डॉ उदित राज ने […]
रांची: जनतंत्र में सबसे बड़ी ताकत संख्याबल की होती है. इसके बाद भी झारखंड में आदिवासियों व दलितों को उनकी आबादी के अनुपात में हिस्सेदारी नहीं मिली है़ पूंजी के नाम पर यदि कुछ है, तो वह आरक्षण ही है़ लेकिन अब यह पूंजी भी जा रही है़ ये बातें सांसद डॉ उदित राज ने कही. वे अनुसूचित जाति/ जनजाति संगठनों के अखिल भारतीय परिसंघ, केंद्रीय समिति झारखंड के सातवें राज्य स्तरीय अधिवेशन में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे़ आयोजन रविवार को डोरंडा स्थित वन विभाग के पलाश ऑडिटोरियम में हुआ़.
श्री राज ने कहा कि सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि आरक्षण को उस बिंदु पर ले आयेंगे कि आरक्षण होने, न होने में अंतर नहीं रह जायेगा़ इसलिए हमें सड़क पर लड़ाई लड़नी होगी़ यदि नहीं लड़े, तो कोई बचाने वाला नहीं होगा़ इसके लिए आरएसएस कार्यकर्ताओं जैसे समर्पण की जरूरत है़ उनकी तुलना में हम कहां हैं? वे ऐसे तपते हैं कि उन्हें हिंदुत्व के अलावा कुछ नहीं दिखता़
एक हाथ में बाइबल, दूसरे में संविधान रखें
उन्होंने कहा कि आदिवासियों को आरक्षण व नौकरी दिलाने में संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर की बड़ी भूमिका रही है. इसलिए ईसाई आदिवासियों के एक हाथ में बाइबल, तो दूसरे में संविधान जरूर होना चाहिए़ महिला प्रकोष्ठ की केंद्रीय अध्यक्ष सविता कात्यायन ने कहा कि संगठन को सशक्त करने की आवश्यकता है़ हमारे परिसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष को नकारा जा रहा है, जबकि अनपढ़ों को भी केंद्र में मंत्री का पद मिला है़ यह हमारी कमी की वजह से है़ कार्यक्रम में बीएन प्रसाद, सुरेश कुमार, एससी भगत, मदन राम, विलफ्रेड केरकेट्टा, मीरा कच्छप, स्नेहलता ने भी विचार रखे़ आयोजन मेें मधुसूदन कुमार, रामबली राम, घनश्याम रविदास, दिनेश कुमार, रंजीत दास, अरुण कुमार, बी हेम्ब्रम, दामोदर राम, सी मिंज, गंगा रविदास सहित अन्य ने योगदान दिया़
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