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सीसीएल : 324 कर्मियों को हटाने का आदेश

रांची : झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन की याचिका पर सुनवाई के बाद धनबाद इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल ने सीसीएल की स्वांग वाशरी में काम कर रहे 324 कर्मियों को हटाने का आदेश दिया है. ट्रिब्यूनल का आदेश सीसीएल मुख्यालय आ गया है. झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन ने इन कर्मियों की फरजी नियुक्ति की शिकायत ट्रिब्यूनल से की […]

रांची : झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन की याचिका पर सुनवाई के बाद धनबाद इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल ने सीसीएल की स्वांग वाशरी में काम कर रहे 324 कर्मियों को हटाने का आदेश दिया है. ट्रिब्यूनल का आदेश सीसीएल मुख्यालय आ गया है. झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन ने इन कर्मियों की फरजी नियुक्ति की शिकायत ट्रिब्यूनल से की थी. ट्रिब्यूनल ने सीसीएल प्रबंधन को नोटिस चिपका कर सभी कर्मियों को हटाने का निर्देश दिया है. कहा है कि जो कर्मी खुद के फरजी नहीं होने का दावा ट्रिब्यूनल के पास करेंगे, उसकी जांच करायी जायेगी. जांच के बाद सही पाये जाने पर उसे नौकरी पर रखा जायेगा.
स्थायीकरण के लिए किया था केस : सीसीएल में 1980 में कुछ कर्मी स्लरी का काम करने आये थे. करीब 1992 में कर्मियों ने स्थायीकरण के लिए ट्रिब्यूनल में केस किया था. 1996 में ट्रिब्यूनल ने मजदूरों के पक्ष में फैसला दिया था. इसके बाद सीसीएल ने हाइकाेर्ट में इस फैसले को चुनौती
दी थी.
हाइकोर्ट ने भी मजदूरों के पक्ष में फैसला सुनाया था. बाद में मामला सुप्रीम कोर्ट गया और वहां से भी मजदूरों के पक्ष में फैसला आया. इसके बाद सीसीएल प्रबंधन इन लोगों को नौकरी देने के लिए तैयार हुआ.
सत्यापन में की गयी गड़बड़ी : 2009 में तय किया गया कि मजदूर यूनियन के प्रतिनिधि और प्रबंधन के सदस्य मिल कर मेमोरेंडम ऑफ सेटलमेंट तैयार करेंगे. मजदूरों का सत्यापन करेंगे. इसके आधार पर नौकरी दी जायेगी. पर सत्यापन के समय प्रबंधन के कुछ लोगों और मजदूर यूनियनों पर गड़बड़ी करने का आरोप लगा. आरोप लगा कि पहले से दैनिक मजदूर के रूप में काम कर रहे लोगों की जगह फरजी लोगों को नौकरी दे दी गयी. झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन के मुमताज आलम ने इसकी जांच की और 2010 में ट्रिब्यूनल में इसकी शिकायत कर दी.

पूर्व सीएमडी को भी गड़बड़ी की आशंका थी
मामले की जांच के दौरान सीसीएल के पूर्व सीएमडी एसके साहा ने भी गड़बड़ी की आशंका जतायी थी. इसी बीच महेंद्र रजक ने हस्तक्षेप याचिका दायर कर दी. महेंद्र रजक ने दावा किया कि मेरे स्थान पर दूसरा व्यक्ति नौकरी कर रहा है. इसकी जांच प्रबंधन ने करायी. महेंद्र रजक के दावे के सच पाये गये. जांच के बाद महेंद्र रजक के स्थान पर काम कर रहे व्यक्ति को हटा दिया गया. जांच में सीसीएल प्रबंधन ने पाया कि कई फरजी लोग नौकरी कर रहे हैं. इसकी पुष्टि होने के बाद ट्रिब्यूनल ने सभी लोगों को नोटिस चिपका कर नौकरी से हटाने का आदेश दिया है.
ट्रिब्यूनल के इस फैसले का दूरगामी असर पड़ेगा. काफी लड़ाई के बाद यह मुकाम मिला है. इसमें कई बड़े यूनियन के नेता भी शामिल थे. उन लोगों के कारण ही पूरी गड़बड़ी की गयी थी.
– मुमताज आलम, शाखा सचिव, झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन

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