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अव्यवस्था का शिकार सतरंजी साप्ताहिक बाजार
रांची: रांची-खूंटी पथ में रिंग रोड के समीप सतरंजी में लगनेवाला साप्ताहिक बाजार अव्यवस्था का शिकार है. यहां वर्षों से हर सप्ताह बुधवार और शनिवार को बाजार लगता है, लेकिन जिला प्रशासन या बाजार समिति की ओर से यहां के दुकानदारों और खरीदारों को किसी तरह की सुविधा मुहैया नहीं करायी जाती है. जब भी […]
रांची: रांची-खूंटी पथ में रिंग रोड के समीप सतरंजी में लगनेवाला साप्ताहिक बाजार अव्यवस्था का शिकार है. यहां वर्षों से हर सप्ताह बुधवार और शनिवार को बाजार लगता है, लेकिन जिला प्रशासन या बाजार समिति की ओर से यहां के दुकानदारों और खरीदारों को किसी तरह की सुविधा मुहैया नहीं करायी जाती है.
जब भी साप्ताहिक बाजार लगता है, तो न सिर्फ हुलहुंडू, बल्कि हटिया और आसपास के शहरी व ग्रामीण क्षेत्र से भी सैकड़ों दुकानदार और खरीदारी यहां पहुंचते हैं. इसके बावजूद यहां न तो ढंग की सड़क है और न ही बिजली-पानी का इंतजाम है. साफ-सफाई भी नहीं होती है. शौचालय के अभाव में दुकानदार व खरीदार खुले में शौच और लघुशंका करने को विवश हैं. सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं को होती है.
दुकानदारों की पीड़ा : पैसे देते हैं, लेकिन सुविधा नहीं मिलती
सतरंजी साप्ताहिक बाजार काफी बड़े इलाके में फैला है. जिस व्यक्ति की जमीन पर यह बाजार लगता है, वह यहां आनेवाले हर दुकानदार से 20-30 रुपये मासूल वसूलता है. जिला प्रशासन को इस बाजार की जानकरी है, लेकिन यहां के दुकानदारों को किसी प्रकार की सुविधा नहीं दी जाती है. न तो इनके लिए शेड बने और न ही चबूतरे. दुकानदार अपने स्तर पर मिट्टी का चबूतरा बनाकर उसी पर तिरपाल बिछा बैठते हैं. इन लोगों को सबसे ज्यादा परेशानी बारिश के मौसम में होती है. दुकानदारों का कहना है कि यदि इस बाजार को व्यवस्थित कर दिया जाये, तो न सिर्फ दुकानदारों को लाभ होगा, बल्कि खरीदारों की संख्या में भी बढ़ेगी.
खुलेआम बिकती है शराब
इस साप्ताहिक बाजार में खुलेआम शराब भी बिकती है. बाजार के ज्यादातर दुकानदार और यहां आनेवाले खरीदार इसके विरोध में हैं, लेकिन प्रशासन की तरफ से इसे रोका नहीं जा रहा है. असामाजिक तत्व यहां शराब पीने के बाद इधर-उधर गिरते-पड़ते रहते हैं और गंदी गालियां भी देते रहते हैं. बाजार में कोई सुरक्षा व्यवस्था भी नहीं है. इस कारण दुकानदार जल्दी-जल्दी अपना माल बेचकर निकल जाते है.
ग्राहकों की पीड़ा : माप-तौल में होती है गड़बड़ी
बाजार में खरीदारी करने पहुंचे लोग अक्सर आरोप लगाते हैं कि यहां के दुकानदार माप-तौल में गड़बड़ी करते हैं. यहां चावल के छोटे बैग 25 किलो के बताकर बेचे जाते हैं, जिनका वजन 21-22 किलो से ज्यादा नहीं होता है. यही हाल अन्य चीजों का भी है. चूंकि बाजार में बिजली की व्यवस्था नहीं है, इसलिए इलेक्ट्रॉनिक तराजू का उपयोग वही करते हैं, जिनके पास अपनी बैटरी है. माप-तौल या कृषि विभाग के अधिकारी भी इसपर ध्यान नहीं देते हैं. कभी यहां के दुकानदारों के तराजू-बटखरे की जांच भी नहीं होती है.
डुप्लीकेट सामान भी धड़ल्ले से बिकता है
इस साप्ताहिक बाजार में डुप्लीकेट सामान भी धड़ल्ले से बिकते हैं. दुकानदार कहते हैं कि यहां आनेवाले खरीदार ग्रामीण होते हैं, जो महंगे सामान नहीं खरीदते हैं. यही वजह है कि बड़ी कंपनियों के नाम से मिलते-जुलते डुप्लीकेट सामान यहां सस्ते में बेचा जाता है. वहीं, डुप्लीकेट खाद और बीज के बिक्री भी शिकायत कई ग्रामीण खरीदार कर चुके हैं.
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