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प्रयास :स्वर्णरेखा बहुउद्देश्यीय परियोजना में अब तक खर्च हुए पांच हजार करोड़ से ज्यादा, सिंचाई की पुरानी योजना पर हो रहा काम

रांची : राज्य में सिंचाई की पुरानी परियोजनाओं पर काम चल रहा है़ वर्षों से लटकी परियोजना को पूरा करने की पहल की गयी है़ 40 से 45 वर्ष पुरानी योजनाओं में भी सरकार अब पैसे खर्च कर रही है. गुमानी, कंसजोर, पंचखेरो, सोनुआ, कोनार, पुनासी जैसी परियोजना के आधारभूत संरचना बनाने का काम हो […]

रांची : राज्य में सिंचाई की पुरानी परियोजनाओं पर काम चल रहा है़ वर्षों से लटकी परियोजना को पूरा करने की पहल की गयी है़ 40 से 45 वर्ष पुरानी योजनाओं में भी सरकार अब पैसे खर्च कर रही है. गुमानी, कंसजोर, पंचखेरो, सोनुआ, कोनार, पुनासी जैसी परियोजना के आधारभूत संरचना बनाने का काम हो रहा है. राज्य की छोटी-बड़ी परियोजनाओं में जुलाई माह तक 145 करोड़ से ज्यादा खर्च हो गया है़ विभाग को सिंचाई परियोजना के मद में विभाग को 330 करोड़ आवंटन मिला था़ .

वहीं स्वर्णरेखा बहुउद्देश्यीय परियोजना में अब तक पांच हजार करोड़ से ज्यादा खर्च हुआ. स्वर्णरेखा परियोजना के लिए विभाग को 404 करोड़ का आवंटन इस वित्तीय वर्ष में मिला था. इसमें 214 करोड़ जुलाई माह तक विभाग ने खर्च कर दिये. विभाग ने पुरानी योजनाओं के विस्तार, जीर्णोद्धार पर भी पैसे खर्च किये हैं. इसमें अब तक 62 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. विभाग के प्रयास से सिंचित क्षेत्रों का विस्तार हो रहा है़

योजनाओं की लागत बढ़ी : वर्षों से चल रही योजनाओं की लागत कई गुणा बढ़ गयी है. 70 और 80 के दशक में जिस योजना की लागत तीन से चार करोड़ थी़, अब वह सौ करोड़ के आसपास हो गयी है. सरायकेला-खरसावां की शुरू जलाशय परियोजना जिसकी लागत वर्ष 1987 में तीन करोड़ के आसपास थी़, उसकी लागत अभी 96 करोड़ बतायी जा रही है. इस परियोजना में अब तक 44 करोड़ तक खर्च हो गये हैं. इसी तरह कोनार सिंचाई परियोजना की लागत शुरुआती दौर में 10 से 11 करोड़ रुपये थी, अब उसकी लागत तीन सौ करोड़ से ज्यादा है. वर्तमान वित्तीय वर्ष में इस परियोजना के लिए 50 करोड़ का आवंटन भी था़ जुलाई तक इस योजना में 43 करोड़ खर्च हो गया है. वर्ष 1982 में शुरू हुई पुनासी परियोजना सात सौ करोड़ से ऊपर की योजना हो गयी है. इसमें ढाई सौ करोड़ रुपये अब तक खर्च हो गया है़
कई योजनाएं वर्षों से ठप नहीं मिला पैसा
इस वित्तीय वर्ष में कई सिंचाई योजनाओं के लिए पैसे का आवंटन नहीं हुआ है. वर्तमान वित्तीय वर्ष में तजना, रायसा, झरझरा, सौअली, कांटी, तिलैया सिंचाई परियोजना में पैसे खर्च नहीं किये गये हैं. इसमें कई योजनाएं 20 से 30 वर्ष पुरानी हैं. वहीं तजना और रायसा सिंचाई परियोजना वर्ष 2008-09 में शुरू की गयी थी. इन परियोजनाओं में पांच से 50 करोड़ तक पिछले वर्षों में खर्च भी हुआ है़

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