रांची: राज्य की पूर्व महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ हेमलता एस मोहन धनबाद संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ रही हैं. उन्हें आजसू पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया है. वह महिलाओं में समानता का अधिकार दिलाने, उन्हें और सशक्त करने की लड़ाई लड़ना चाहती हैं.
उनके आदर्श देश के प्रथम राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन हैं, जो पहले एक शिक्षक थे, बाद में राजनीतिज्ञ बने. पर आज भी उन्हें लोग शिक्षक दिवस के दिन याद करते हैं. मैं भी उन्हीं के आदर्शो पर चल कर राजनीति में जाना चाहती हूं. राजनीति में आना महज एक संयोग है. मैंने काफी मशविरा करने के बाद राष्ट्रीय दलों के बजाय आजसू पार्टी में जाना बेहतर समझा. इसलिए यह पार्टी ज्वाइन की.
डॉ मोहन का मानना है कि क्षेत्रीय दल राज्य के विकास में महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं. क्षेत्रीय दल के रहने से ही समाज का सर्वागीण विकास हो रहा है. राष्ट्रीय दलों में बड़े नेताओं के सामने किसी का उभरना मुश्किल है. राष्ट्रीय दल सिर्फ महिला सशक्तीकरण की बातें करते हैं, 33 प्रतिशत आरक्षण की बातें करते हैं. पर यह जमीनी स्तर पर कहां हो रहा है.
क्षेत्रीय दल महिलाओं को बेहतर ओहदे पर लाने की कोशिश रहे हैं. उनका सम्मान कर रहे हैं. चुनावी समर में डॉ मोहन का मुकाबला तृणमूल कांग्रेस के चंद्रशेखर दुबे, झाविमो के समरेश सिंह, भाजपा के पीएन सिंह, कांग्रेस के अजय दुबे जैसे नेताओं से हैं. डॉ मोहन कहती हैं कि मेरा किसी से कोई मुकाबला नहीं है. लोग परिवर्तन चाहते हैं. इसलिए मैं चुनावी मैदान में हूं. पार्टी की ओर से विकास के मुद्दे और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ी जा रही है. ऐसे में मतदाताओं को वैसे उम्मीदवारों का चयन करना चाहिए, जो राज्य के विकास के साथ-साथ समानता, राजनीति में महिलाओं की भागीदारी की बातें भी करते हैं. महिलाओं के सशक्त होने से ही झारखंड में आधी आबादी की लड़ाई जीती जा सकती है.