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पड़ताल: गुड़िया तक पहुंचा प्रभात खबर, आंसू पोंछते हुए पीड़िता ने कहा, रिम्स के डॉक्टरों ने मेरा विश्वास तोड़ा, दोबारा वहां नहीं जाऊंगी
रिम्स के डॉक्टरों की लापरवाही के कारण बेवजह दर्द झेल रही कांके निवासी गुड़िया को ‘प्रभात खबर’ ने बुधवार को खोज निकाला. गुड़िया की बायीं किडनी में पथरी थी, लेकिन रिम्स के डॉक्टरों ने उसके पेट की दायीं तरफ चीरा लगा दिया. यही नहीं, जब डॉक्टरों को अपनी गलती का एहसास हुआ, तो उन्होंने गुड़िया […]
रिम्स के डॉक्टरों की लापरवाही के कारण बेवजह दर्द झेल रही कांके निवासी गुड़िया को ‘प्रभात खबर’ ने बुधवार को खोज निकाला. गुड़िया की बायीं किडनी में पथरी थी, लेकिन रिम्स के डॉक्टरों ने उसके पेट की दायीं तरफ चीरा लगा दिया. यही नहीं, जब डॉक्टरों को अपनी गलती का एहसास हुआ, तो उन्होंने गुड़िया को निजी अस्पताल में ले जाकर ऑपरेशन कराने की तैयारी कर ली. हालांकि, गुड़िया वहां से अपने घर चली गयी. फिलहाल, वह कांके स्थित बोड़ेया में अपनी मां के घर में बिस्तर पर पड़ी है अौर रिम्स के डॉक्टरों को कोस रही है.
रांची: प्रभात खबर की टीम बुधवार को बोड़या स्थित गुड़िया के मायके पहुंची, जहां बिस्तर पर पड़ी गुड़िया दर्द से कराह रही थी. प्रभात खबर संवाददाता ने जब उससे पूरे घटनाक्रम के बारे में पूछा, तो उसकी आंखाें में आंसू छलक आये. अपने आंसू पोंछते हुए गुड़िया ने कहा, ‘अब तक डाॅक्टरों को भगवान मानती थी, लेकिन बेवजह घाव देनेवाले रिम्स के डॉक्टरों ने विश्वास तोड़ दिया है. मैं तो स्वस्थ होने की उम्मीद लेकर रिम्स गयी थी, लेकिन वहां के डॉक्टरों मेरी बीमारी ठीक करने के बजाय नया जख्म दे दिया है.’
गुड़िया कहती है,‘सुना था कि सरकारी अस्पताल में योग्य और अनुभवी डॉक्टर रहते हैं, लेकिन मेरे साथ तो उल्टा ही हाे गया. अब मैं दोबारा कभी रिम्स नहीं जाऊंगी. किसी दूसरे को जाने के लिए भी नहीं कहूंगी. बायीं किडनी में पथरी की वजह से दर्द पहले से ही था, जो अब भी जारी है. रिम्स के डाॅक्टरों ने दायीं ओर चीरा लगा कर नया जख्म दे दिया है. अब पेट के दाेनों तरफ के दर्द झेलना पड़ रहा है. मेरे साथ जो हुआ, सो हुआ, लेकिन मैं यही चाहूंगी कि रिम्स के डॉक्टर किसी दूसरे मरीज के साथ दोबारा ऐसा न करें.’
पैसे नहीं थे, इसलिए निजी अस्पताल में नहीं कराया इलाज : गुड़िया ने बताया कि उसे पेट की बायीं तरफ दर्द की शिकायत थी. शहर के एक निजी अस्पताल में इलाज कराने गयी, तो पता चला कि बायीं किडनी में पथरी है. निजी अस्पताल में इलाज के लिए ज्यादा पैसा खर्च होनेवाले थे, इसलिए वहां से चली आयी. पति ने बेहतर इलाज के लिए रिम्स ले आये. यूरोलॉजी विंग में इलाज शुरू हुआ. डॉ अरशद जमाल की देखरेख में भरती किया गया. आवश्यक जांच की गयी. जांच के बाद बताया कि गया कि बड़ा ऑपरेशन कर बायीं किडनी की पथरी निकाली जायेगी. बीते शनिवार को यूरोलॉजी विभाग के चिकित्सक डाॅ अफसर मेरा ऑपरेशन किया. होश आने के बाद जब मैंने देखा कि बायीं की जगह पेट की दायीं ओर ऑपरेशन कर दिया गया है. यह बात मैंने अपने पति को बतायी, तो वह डॉक्टर से मिले. उन्होंने स्वीकारा कि गलती हो गयी है. दूसरे अस्पताल में ले जाकर ऑपरेशन करा देंगे.
दोबारा रिम्स लाने को कहा, तो घर भाग आये
गुड़िया ने बताया कि गलत ऑपरेशन करने के बाद अपनी गलती सुधारने के लिए रिम्स के डॉक्टर मंगलवार को उसे बरियातू के जोड़ा तालाब स्थित लेक व्यू अस्पताल ले गये. वहां ऑपरेशन के लिए ओटी में पूरी तैयारी हो चुकी थी. इसी बीच डॉक्टर उसे दोबारा रिम्स ले जाने को कहने लगे. बताया कि ऑपरेशन वहीं किया जायेगा. डरी सहमी गुड़िया को लगा कि डॉक्टर कहीं दोबारा उसे नया जख्म न दे दें, इसलिए उसने अपने पति से कहा, ‘अगर मेरी जिंदगी चाहते हैं, तो मुझे घर ले चलिए.’ उसके बाद दोनों अपने घर लौट आये.
डॉ अफसर आलम पर निलंबन तक की हो सकती है कार्रवाई
रिम्स के प्रभारी निदेशक डॉ आरके श्रीवास्तव ने कहा कि सीनियर रेसीडेंट डॉ अफसर आलम पर निलंबन तक की कार्रवाई हो सकती है. मामले की जांच के लिए अधीक्षक को नियुक्त किया गया था, जिन्होंने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. अभी रिपोर्ट नहीं पढ़ी है, लेकिन अगर अनुशासनात्मक कार्रवाई की बात कही गयी होगी, तो निलंबन तक किया जा सकता है. डॉक्टर असरफ ने अपनी गलती मंजूर कर ली है. निदेशक छुट्टी पर हैं, उनके लौटने बाद निर्णय लिया जायेगा.
सुबह में अखबार बांटता हूं दिन में गाड़ी चलाता हूं
गुड़िया के पति प्रदीप कुमार ने बताया कि वह हॉकर है. सुबह अखबार बांटता है, वहीं दिन में गाड़ी चलाता है. रुआंसा होकर प्रदीप कहता है: काफी मेहनत-मशक्कत के बाद परिवार पालता हूं. मेरी एक दूधमंही बच्ची भी है. अगर डाॅक्टर की गलती से मेरी पत्नी को कुछ हो गया, तो मेरे बच्चे अनाथ हो जायेंगे. रिम्स प्रबंधन और सरकार को एेसे लापरवाह चिकित्सक पर कार्रवाई करनी चाहिए.
इन घटनाओं ने रिम्स की छवि को किया खराब
रिम्स भले ही राज्य का उभरता हुआ मेडिकल संस्थान है, लेकिन कई घटनाओं ने रिम्स की छवि को खराब कर दिया है. रिम्स में महिला मरीज को फर्श पर खाना खिलाने का मामला हो या फिर दायें हाथ की जगह बायें हाथ में प्लास्टर का, इन मामलों में रिम्स की खूब किरकिरी हुई थी. ऐसे मामले से रिम्स प्रबंधन व डाॅक्टरों पर घोर लापरवाही की बात नजर आती है. यहीं नहीं, हाल में हड्डी के डॉक्टरों ने एक मरीज का हाथ काटने की फरमान जारी कर दिया था. लेकिन, वैस्कुलर सर्जन ने अपने प्रयास से मरीज के हाथ को बचा लिया था.
रिम्स के प्रभारी निदेशक डॉ आरके श्रीवास्तव से सीधी बातचीत
Q.क्या रिम्स के चिकित्सक ऑपरेशन से पहले एक्सरे रिपोर्ट देखे बिना सीधे चीरा लगाना शुरू कर देते हैं?
ऐसी बात नहीं है. सर्जन जांच से पहले सभी रिपोर्ट का मुअायना दोबारा करते हैं. यूरोलॉजी के डाॅक्टर ने सर्तकता क्यों नहीं बरती यह सोचने की बात है. इस पूरे मामले की जांच की जा रही है.
Q. डाॅक्टर ने लापरवाही छुपाने के लिए मरीज को निजी अस्पताल में मरीज को भेज दिया, क्या यह सही है?
अगर गलती हो गयी थी, तो इसे अपने अस्पताल में ही सुधारना चाहिए था. निजी अस्पताल में भेज कर डाॅक्टर ने बड़ी गलती कर दी है. रिम्स एक शिक्षण संस्थान है, जहां प्रशिक्षण के लिए मेडिकल विद्यार्थी सीखते हैं. सीखने के दौरान गलती होती है, लेकिन उसका सुधार अपने यहां ही कर लिया जाता है.
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