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न आपदा प्रबंधन पॉलिसी बनी न इमरजेंसी ऑपरेशन सिस्टम
रांची: झारखंड के आपदा प्रबंधन विभाग में न तो अभी तक आपदा प्रबंधन पॉलिसी बनी, न इसका कानून बना और न ही इमरजेंसी ऑपरेशन सिस्टम. पॉलिसी और एक्ट के मामले में झारखंड आपदा प्रबंधन विभाग अब भी राष्ट्रीय पॉलिसी व एक्ट पर निर्भर है. राष्ट्रीय पॉलिसी और एक्टर वर्ष 2005 में बने थे. जिसके बाद […]
रांची: झारखंड के आपदा प्रबंधन विभाग में न तो अभी तक आपदा प्रबंधन पॉलिसी बनी, न इसका कानून बना और न ही इमरजेंसी ऑपरेशन सिस्टम. पॉलिसी और एक्ट के मामले में झारखंड आपदा प्रबंधन विभाग अब भी राष्ट्रीय पॉलिसी व एक्ट पर निर्भर है. राष्ट्रीय पॉलिसी और एक्टर वर्ष 2005 में बने थे. जिसके बाद सभी राज्यों को राज्य की परिस्थितियों के हिसाब से पॉलिसी व एक्ट तैयार करना था. जानकारी के मुताबिक इस विभाग में अभी तक आपदा प्रबंधन का ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट भी नहीं बनाया गया है.
आपदा की स्थिति में लोगों तक राहत पहुंचाने के लिए डिजास्टर रिस्पांस टीम भी नहीं बन पायी है. ऐसी स्थिति से निपटने के लिए सरकार ने हाल में 100 लोगों की नियुक्ति की अनुमति दी है. इतना ही नहीं राज्य में अभी तक डिजास्टर मैनेजमेंट ऑथोरिटी और डाइरेक्टर डिजास्टर मैनेजमेट एडमिनिस्ट्रेशन भी नहीं बनाये गये हैं. हाल में सरकार ने यह फैसला लिया है कि जैप के जवानों को आपदा प्रबंधन विभाग में प्रतिनियुक्त कर काम चलाया जायेगा. अन्य पदों पर संविदा के आधार पर नियुक्ति की जायेगी.
लेनी पड़ती है एनडीआरएफ की मदद : आपदा प्रबंधन विभाग में अलग से फोर्स नहीं होने के कारण किसी के डूबने की स्थिति में सरकार को नेशनल डिजास्टर रिस्पांस टीम (एनडीआरएफ) की मदद लेनी पड़ती है. झारखंड में एनडीआरएफ की एक कंपनी तैनात है. इसके अलावा सरकार ने पिछले एक साल में हर जिले में 100-100 वोलेंटियर तैयार करने का फैसला लिया है. कई जिलों में वोलेंटियर नियुक्त कर लिये गये हैं.
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