गोला : सरकार करोड़ों रुपये स्वच्छ पेयजल पर खर्च कर रही है. लेकिन योजनाएं कहां लागू हो रही है, इसका कोई ठिकाना नहीं है. गांव में पेयजल की व्यवस्था की पोल खुल रही है. शुद्ध पेयजल तो दूर, बच्चों को गड्ढे के पानी से ही प्यास बुझानी पड़ रही है. यह हाल है गोला प्रखंड के सुदूरवर्ती गांव चोपादारू का है.
वहां प्राथमिक विद्यालय के छात्र-छात्राएं पानी के अभाव में दर-दर भटकते हैं. इन बच्चों को मध्याह्न् भोजन तो मिल जाता है, लेकिन पेयजल नहीं मिल पाता. इस कारण बच्चे लगभग आधा किमी दूर जाकर खेत के गड्ढे का पानी पीने को विवश हैं. इसके कारण उन्हें कई तरह की बीमारियां हो रही हैं.
मध्याह्न् भोजन भी बनता है
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इस विद्यालय में कुछ 43 छात्र-छात्राएं है. चापानल खराब होने के कारण बच्चों को दिये जाने वाले मध्याह्न् भोजन में माता समिति द्वारा गढ्ढे के पानी का उपयोग किया जा रहा है. इसी पानी से भोजन बना कर छात्रों के बीच परोसा जाता है.
कई चापानल खराब
पीएचडी विभाग द्वारा प्रत्येक विद्यालय में पेयजल के लिए चापानल लगाया गया है. लेकिन चापानल कई माह से खराब पड़े हैं. साथ ही आस-पास में कोई पेयजल कूप भी नहीं है. इससे व्यवस्था की पोल खुल रही है. इसके अलावा झारखंड शिक्षा परियोजना द्वारा छात्रों के स्वच्छता संबंधी कई कीट्स दिये गये हैं. लेकिन इसका पालन नहीं किया जा रहा है.
– सुरेंद्र/सुरेश –