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बन गया भवन, विभाग अनजान

15 लाख रुपये की लागत से पड़वा में पशु चिकित्सा केंद्र भवन ’09 में पड़वा को पाटन से अलग कर प्रखंड बनाया गया था मेदिनीनगर : पलामू के पड़वा में पशु चिकित्सा केंद्र का भवन कैसे बना है, यह जानकर पशुपालन विभाग भी हैरत में है. क्योंकि पड़वा को वर्ष-2009 में प्रखंड का दर्जा मिला […]

15 लाख रुपये की लागत से पड़वा में पशु चिकित्सा केंद्र भवन
’09 में पड़वा को पाटन से अलग कर प्रखंड बनाया गया था
मेदिनीनगर : पलामू के पड़वा में पशु चिकित्सा केंद्र का भवन कैसे बना है, यह जानकर पशुपालन विभाग भी हैरत में है. क्योंकि पड़वा को वर्ष-2009 में प्रखंड का दर्जा मिला है.
लेकिन अभी तक प्रखंड में पशु चिकित्सा केंद्र को स्वीकृति नहीं मिली है. इस वजह से प्रखंड में अभी तक प्रखंड पशु चिकित्सा पदाधिकारी का पद भी सृजित नहीं है. पाटन से अलग होकर पड़वा प्रखंड का दर्जा मिला है.
पशुपालन विभाग अभी भी पड़वा में पूर्व की तरह पाटन से ही काम करती है. ऐसे में आखिर पशु चिकित्सालय के लिए भवन का निर्माण कैसे हो गया, यह विभाग के लोगों के लिए समझ से परे की बात है. मामला सिर्फ पशुपलन विभाग का ही नहीं. कुछ ऐसी ही स्थिति कृषि विभाग की है.
पड़वा में किसानों को सुविधा हो, इसके लिए कृषि तकनीकी सूचना केंद्र के भवन का निर्माण किया गया है.लेकिन भवन में हमेशा ताला लगा रहता है और किसानों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है. इस भवन में बैठ कर किसानों की गोष्ठी होनी चाहिए थी. उस भवन में आपूर्ति विभाग ने नमक का बोरा रखा है. यह स्थिति तब है, जब कृषि व पशुपालन को लेकर लोगों में जागरूकता लाने के लिए जागृति अभियान चल रहा है. ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है. जब लाखों रुपये खर्च कर बने भवन बेकार हो रहे हैं, तब आगे स्थिति में बदलाव आयेगा इसकी क्या गारंटी?

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