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कंकाली आश्रम में 66 वर्षों से हो रही मां दुर्गा की पूजा

बांसलोई नदी के किनारे श्मशान घाट के समीप कंकाली आश्रम महेशपुर : प्रखंड मुख्यालय में बांसलोई नदी के किनारे श्मशान घाट के समीप अवस्थित कंकाली आश्रम में विगत 66 वर्षों से पौराणिक रीति रिवाज से मां दुर्गा की पूजा होती आ रही है. इस आश्रम की स्थापना वर्ष 1951 में पश्चिम बंगाल के दिनाजपुर जिले […]

बांसलोई नदी के किनारे श्मशान घाट के समीप कंकाली आश्रम

महेशपुर : प्रखंड मुख्यालय में बांसलोई नदी के किनारे श्मशान घाट के समीप अवस्थित कंकाली आश्रम में विगत 66 वर्षों से पौराणिक रीति रिवाज से मां दुर्गा की पूजा होती आ रही है. इस आश्रम की स्थापना वर्ष 1951 में पश्चिम बंगाल के दिनाजपुर जिले के जमींदार परिवार सर्वानंद बाबा द्वारा की गयी थी. अपनी पुत्री की असामयिक निधन से शोकाकुल सर्वानंद बाबा ने गृहस्थ जीवन का त्याग कर संन्यासी जीवन अपना लिया था. सर्वानंद बाबा शिक्षित होने के साथ काफी अच्छे लेखक भी थे.
उन्होंने बंगला में नाना कथा, कंकाली तथा अंगरेजी में मदर वर्शिप की रचना की. कंकाली आश्रम में दुर्गा पूजा सर्वप्रथम सर्वानंद बाबा ने 1951 में प्रारंभ कर 1959 तक की. उनके निधन के बाद भगवती प्रसाद सिंह और सर्वानंद बाबा के अन्य शिष्यों ने 1960 से 1999 तक तक पूजा की. वर्ष 2000 से
अब तक स्व भगवती प्रसाद सिंह के पुत्र जयशंकर सिंह उर्फ भैया अपने सहयोगी साधन दास के साथ दुर्गा पूजा की जिम्मेवारी संभाल रखी है. प्रतिमा का विसर्जन सादे समारोह के साथ बांसलोई नदी में किया जाता है. आज भी कंकाली आश्रम में दुर्गा पूजा के समय अष्टमी तथा नवमी तिथि के बीच होने वाली संधि पूजा के समय श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है.

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