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ऐतिहासिक है कसपुर गांव
इतिहासकारों ने ली सुध, कहा भंडरा/लोहरदगा : भंडरा प्रखंड के कसपुर गांव अपनी गोद में पाषाण काल एवं गुप्त काल का अवशेष लेकर प्राचीन ऐतिहासिक पहचान बता रहा है. कसपुर में गुप्तकाल में शहरी सभ्यता विकसित थी. पाषाण काल में यहां राजाओं का विकसित शहर था. यह क्षेत्र इतिहासकारों का उपेक्षा का शिकार हुआ है. […]
इतिहासकारों ने ली सुध, कहा
भंडरा/लोहरदगा : भंडरा प्रखंड के कसपुर गांव अपनी गोद में पाषाण काल एवं गुप्त काल का अवशेष लेकर प्राचीन ऐतिहासिक पहचान बता रहा है. कसपुर में गुप्तकाल में शहरी सभ्यता विकसित थी. पाषाण काल में यहां राजाओं का विकसित शहर था. यह क्षेत्र इतिहासकारों का उपेक्षा का शिकार हुआ है.
अब इन ऐतिहासिक स्थलों को खोज कर संरक्षित करने की आवश्यकता है.इस स्थल से प्राचीन ताम्र सिक्को का मिलना, प्राचीन बरतनों का मिलना एवं भवनों का अवशेष मिलना इस क्षेत्र का इतिहास को प्रदर्शित करता है. उक्त बातें इतिहासकारों के साथ-साथ पुरातत्वविदों ने कसपुर गांव की ऐतिहासिक धरोहर को देख कर बताया. कसपुर गांव का अवलोकन डॉ सुभाष यादव पुरातत्व पदाधिकारी उत्तरप्रदेश, अन्नता आशुतोष द्विवेदी पुरातत्व विद पटना, डॉ मथुरा राम उस्ताद इतिहासकार रांची, अमीय आनंद रांची विश्वविद्यालय के शोधकर्ता ने किया. कसपुर गांव के ऐतिहासिक होने का प्रमाण के रुप में बताया गया कि गांव के सैंकड़ों एकड़ भूमि में प्राचीन भवनों का अवशेष मिला है.
भवनों के अवशेष में 32 सेमी गुणा 20 सेमी गुणा 6 सेमी ईंट का प्रयोग, पाषाण कालीन ताम्र सिक्कों का मिलना, प्रारंभिक मध्यकालीन शिव मंदिर का अवशेष एवं शिव लिंगों का मिलना, जिसमें गोलाकार अध्र्य पाया गया है.
इतिहासकारों ने बताया कि 1400 से 1700 वर्ष पूर्व गुप्तकाल एवं कुषाण काल में जिस आकार का ईंटों का प्रयोग भवन निर्माण के लिए किया जाता था, उसी आकार का ईंट एवं भवनों का अवशेष कसपुर गांव में मिलता है. कसपुर गांव को पूर्व में कौशल पुर के नाम से जाना जाता था.
समयांतराल में अपभ्रंश से इस गांव का नाम कसपुर हो गया. इस क्रम में गांव का प्रधान जग्रनाथ मुंडा, उपमुखिया सूरज उरांव, उमेश्वर नाथ तिवारी, राजकुमार मुंडा, विश्रम मुंडा सहित अन्य ग्रामीण भी शामिल थे.
प्राचीनकालीन अवशेष हैं : इतिहासकार
पुरातत्व विदों एवं इतिहासकारों ने भंडरा में लाल बहादुर शास्त्री उच्च विद्यालय के पास स्थित मंदिरों का भग्नावशेषों का अवलोकन किया. अवशेष को देख कर बताया कि सभी प्राचीन कालीन अवशेष हैं. यह क्षेत्र इतिहास का अवशेष से भरा है. अवशेषों को संरक्षित करने की आवश्यकता है. इन अवशेषों को संरक्षित करने के लिए पुरातत्व विभाग को पहल करनी चाहिए.
ग्रामीण ने दिखाया सिक्का
कसपुर गांव का 90 वर्षीय गुन्दुआ मुंडा ने तीन ताम्र सिक्का दिखाया, जो कि पाषाण कालीन था. गुन्दुआ ने बताया कि यह सिक्का उसे गांव में ही जमीन खोदने के क्रम में मिला है. लोग बताते हैं कि प्राचीन कालीन मिट्टी का बरतन भी जमीन खुदाई के क्रम में मिलता है. इतिहासकार बताते हैं कि यहां का इतिहास 2000 वर्ष पुराना है.
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