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समितियों के भरोसे है जंगल

परेशानी. वन विभाग में वनरक्षियों की कमी, जरूरत 79 की, कार्यरत हैं 12 पर्यावरण को संतुलित रखने के लिए पौधरोपण व पौधों का संरक्षण जरूरी है. लेकिन, लोग लगातार वनों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. इन सभी के बीच कोडरमा में वन सुरक्षा समितियां मिसाल बन रही हैं. एक तरफ वन विभाग वन रक्षियों की […]

परेशानी. वन विभाग में वनरक्षियों की कमी, जरूरत 79 की, कार्यरत हैं 12
पर्यावरण को संतुलित रखने के लिए पौधरोपण व पौधों का संरक्षण जरूरी है. लेकिन, लोग लगातार वनों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. इन सभी के बीच कोडरमा में वन सुरक्षा समितियां मिसाल बन रही हैं. एक तरफ वन विभाग वन रक्षियों की कमी से जूझ रहा है, तो दूसरी तरफ समितियां वन बचाने में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं.
कोडरमा : जिले में पिछले कुछ वर्षों में जंगली क्षेत्र बढ़ा है, पर वन विभाग में कर्मियों की कमी होती चली गयी है. हाल यह है कि स्वीकृत पद के आधे कर्मी भी विभाग में कार्यरत नहीं है. जंगल बचाने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी जिन वन रक्षियों पर होती है, उनकी भारी कमी से विभाग जूझ रहा है. हालांकि इस कमी को पाट वन सुरक्षा समितियां अच्छा काम कर रही है. लोगों के बीच आयी जागरूकता व वन समितियों की सक्रियता ने जिले में हरियाली बढ़ाने में अहम योगदान दिया है. कोडरमा जिले का कुल क्षेत्रफल 1500 स्क्वायर किलोमीटर है.
इनमें से 798.65 स्क्वायर किलोमीटर वन क्षेत्र हैं. यानी कुल क्षेत्रफल का करीब 53.24 प्रतिशत वन क्षेत्र कोडरमा में है. वनों के क्षेत्रफल में से सबसे अधिक हिस्सा वन विभाग के कोडरमा डिवीजन में कुल 647.96 स्क्वायर किलोमीटर है. बाकी करीब 150 स्क्वायर किलोमीटर वन क्षेत्र वनप्राणी आश्रयाणी हजारीबाग प्रक्षेत्र का है. कोडरमा डिवीजन में वनरक्षियों के कुल स्वीकृत पद 79 हैं, जबकि वर्तमान में मात्र 12 वनरक्षी कार्यरत हैं. इनमें से एक दो तो कुछ माह में रिटायर हो जायेंगे. वहीं कुछ काफी बुजुर्ग व बीमार हैं.
वन रक्षियों का कुल 69 पद रिक्त पड़े हैं. इसके अलावा कुल 15 फाॅरेस्टर की जगह मात्र छह फाॅरेस्टर कार्यरत हैं. पांच रेंज आॅफिसर की जगह चार रेंज आॅफिसर कार्यरत हैं. इस विपरीत स्थिति के बावजूद वन विभाग व स्थानीय लोगों की सहभागिता से जिले में हरियाली बढ़ी है. जिले के 300 वन मौजा क्षेत्र में वर्तमान में कुल 242 वन सुरक्षा समितियां काम कर रही हैं. इन समितियों का मुख्य काम वनों की सुरक्षा करना व लोगों को जागरूक करना है. वन विभाग ने हाल ही में बेंदी, दौनेया, देवीपुर, सिमरकुंडी व अन्य जगहों पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया था.
न विभाग के कोडरमा में चार डिवीजन हैं. कोडरमा डिवीजन में कोडरमा प्रखंड व डोमचांच प्रखंड शामिल है. वहीं गझंडी डिवीजन में चंदवारा व कोडरमा का कुछ हिस्सा, डोमचांच डिवीजन में डोमचांच, चंदवारा, मरकच्चो व जयनगर का इलाका, सतगावां डिवीजन में पूरा सतगावां प्रखंड का क्षेत्र शामिल हैं.
6000 गैवियन का होगा प्लांटेशन
डीएफओ मिथिलेश कुमार सिंह ने बताया कि इस वित्तीय वर्ष में जंगली क्षेत्र को और बढ़ाने के लिए पौधरोपण की योजना है. इसके तहत 6000 नये गौवियन प्लांटेशन किये जायेंगे. खासकर शिक्षण संस्थान व ग्रामीण सड़कों के किनारे. इसके अलावा कुल 125 हेक्टेयर में पौधरोपण की योजना है.
विभाग एक लाख, 93 हजार, 310 पौधारोपण करेगा. उन्होंने बताया कि जिले के वन क्षेत्र में दस नये चेक डैम बनाये जायेंगे. इसमें से एक चेक डैम का निर्माण तिलैया के झरना कुंड के आसपास बनेगा.
जिले में वन क्षेत्र लगातार बढ़ा है, पर वनों की सुरक्षा तभी संभव है. जब लोग खुद इसके बारे में सोचेंगे. लोग अपने आसपास के क्षेत्र में खुद पौधे लगाकर वन क्षेत्र बनायें. विभाग के पास वनरक्षियों की कमी से परेशानी होती है. हालांकि वन समितियां अच्छा काम कर रही हैं. हम लोगों को इसके प्रति जागरूक करने के लिए भी प्रयासरत हैं.
एमके सिंह, डीएफओ

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