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अच्छे पदाधिकारी पुरस्कृत व प्रोन्नत किये जायें
रांची : दिसंबर 2014 में तत्कालीन अपर मुख्य सचिव, मंत्रिमंडल सचिवालय व समन्वय विभाग ने सभी जिलों के उपायुक्तों से जिले में बेहतर कार्य संस्कृति तथा योजनाओं के प्रभावशाली क्रियान्वयन के लिए सुझाव मांगा था. इस संबंध में सिर्फ जामताड़ा के तत्कालीन उपायुक्त शशि रंजन सिंह ने सरकार को अपना लिखित सुझाव भेजा था. सरकारी […]
रांची : दिसंबर 2014 में तत्कालीन अपर मुख्य सचिव, मंत्रिमंडल सचिवालय व समन्वय विभाग ने सभी जिलों के उपायुक्तों से जिले में बेहतर कार्य संस्कृति तथा योजनाओं के प्रभावशाली क्रियान्वयन के लिए सुझाव मांगा था. इस संबंध में सिर्फ जामताड़ा के तत्कालीन उपायुक्त शशि रंजन सिंह ने सरकार को अपना लिखित सुझाव भेजा था. सरकारी हलकों में इसकी सराहना भी हुई थी. अब जब मौजूदा सरकार राज्य में बेहतर कार्य संस्कृति लाने की दिशा में कार्यरत है. ऐसे में उपायुक्त जामताड़ा के सुझावों पर फिर से विचार जरूरी है. उपायुक्त ने 28 जनवरी 2015 को भेजे अपने सुझावों में कई महत्वपूर्ण बातें लिखी थीं. यहां उनका सारांश दिया जा रहा है.
ग्रेडिंग व मूल्यांकन हो : महत्वपूर्ण पदाधिकारियों जैसे उपायुक्त, आरक्षी अधीक्षक (एसपी), जिला शिक्षा अधीक्षक, सिविल सर्जन, प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) तथा विभिन्न थाना प्रभारी के कार्यों की प्रति माह या दो माह में विभिन्न मानकों के आधार पर ग्रेडिंग होनी चाहिए.
मूल्यांकन होना चाहिए. इस ग्रेडिंग को सार्वजनिक किया जाये,ताकि संबंधित पदाधिकारी सहित अाम लोग भी सब कुछ जानें. इससे कार्य संस्कृति में सुधार का नैतिक व सामाजिक दबाव भी बनेगा. जिनका कार्य असंतोषजनक हो, उन्हें स्मार, सुझाव व इसके बाद चेतावनी निर्गत की जाये. इससे भी सुधरने की प्रेरणा मिलेगी व दबाव बनेगा.
बेहतर लोग पुरस्कृत हों : सरकार में अब तक श्रेष्ठ कार्य करने वाले को पुरस्कृत या पदोन्नति करने की कोई नीति नहीं है. पदोन्नति व पोस्टिंग में भी उत्कृष्ठ कार्यों का कोई महत्व नहीं है.
इससे अच्छे काम करने की प्रेरणा नहीं मिलती. अत: पदाधिकारियों के कार्यों की ग्रेडिंग व गुण-दोष के आधार पर सीअार (गोपनीय चारित्री) लिखा जाये तथा इसके साथ ग्रेडिंग की प्रतिलिपि संलग्न हो. मनमाने ढंग से सीआर लिखने की परंपरा बंद हो. बेहतर कार्य करने वालों को पदोन्नति व पोस्टिंग में प्राथमिकता दी जाये.
भवन बने, पर बिजली-पानी की भी व्यवस्था हो : जामताड़ा सहित विभिन्न जिलों में कई नये भवन बने हैं.पर वहां बिजली-पानी की व्यवस्था नहीं है. नये भवन स्वास्थ्य उपकेंद्रों में से किसी में भी बिजली-पानी नहीं है. वहीं नये भवनों के इस्तेमाल में बहुत विलंब होता है. जामताड़ा में महिला पॉलिटेक्निक व आइटीआइ का भवन छह साल पहले बना, पर अाज तक पढ़ाई शुरू नहीं हुई है. इन सब पर जन प्रतिनिधि, प्रेस प्रतिनिधि व प्रबुद्ध लोग जब सवाल उठाते हैं, तो उपायुक्त को जवाब देना मुश्किल हो जाता है. इस संस्कृति में सुधार की जरूरत है.
शिक्षा विभाग : ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालयों में छात्रों कीउपस्थिति बेहद कम होती है. जैसे 64 में से चार तथा 35 में से सात विद्यार्थियों की उपस्थिति चकित करती है. इसका सबसे बड़ा कारण ज्यादातर जिला शिक्षा अधीक्षक का कम क्षमतावान होना है. मैंने डीडीसी देवघर तथा उपायुक्त जामताड़ा के रूप में अपने जिले के जिला शिक्षा अधीक्षकों को अपने कर्तव्यों के पालन में अयोग्य पाया है. जिला शिक्षा अधीक्षक के पद पर नियुक्ति का पैमाना बेहतर होना चाहिए.
स्वास्थ्य विभाग : विभिन्न स्वास्थ्य उपकेंद्रों में एएनएम नहीं रहती. ये अाम तौर पर टीकाकरण के लिए उपकेंद्र जाती हैं. वहीं आम दिनों में एक-दो घंटे के लिए, जबकि इन्हें वहां 24 घंटे रहना है.
उसी तरह जिला स्तर पर विशेषज्ञ चिकित्सकों की बेहद कमी है. विशेषज्ञ चिकित्सकों को विशेष प्रोत्साहन राशि देकर जिलों में भेजा जा सकता है. निजी अस्पतालों के विशेषज्ञ चिकित्सकों को भी समुचित फीस व सुविधा देकर विभिन्न जिलों में समय-समय पर भेजा जा सकता है. हेल्थ सेक्टर की बेहतरी के लिए एएनएम, डॉक्टर, बीपीएम, डीपीएम व बीएएम के कार्यों की अनुश्रवण, ग्रेडिंग व तदनुसार कार्रवाई अपेक्षित होगी.
जिला स्तरीय समस्या : गत 20-25 वर्षों में विकास तथा कल्याणकारी कार्यों में कई गुना वृद्धि हुई है. विधि व्यवस्था व चुनाव संबंधी कार्य भी बढ़े हैं. पर उपायुक्त के कार्यालय में कोई शॉर्ट हैंड जानने वाला स्टेनो नहीं होता, जबकि उपायुक्त को दो स्टेनो जरूरी है. जिला स्तरीय अन्य कर्मचारियों क्लर्क, चपरासी, चालक, पंचायत सेवक, जन सेवक, हल्का कर्मचारी, अमीन व कंप्यूटर अॉपरेटर जैसे पदों पर नियुक्ति का अधिकार उपायुक्त को होना चाहिए.
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