35.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

24 वर्षो से अधूरी है पिपरवार रेल साइडिंग परियोजना

परियोजना निर्माण में भूमि अधिग्रहण बना बाधक खलारी : सीसीएल द्वारा मैक्लुस्कीगंज रेलवे स्टेशन से पिपरवार तक 31 किमी लंबी रेल लाइन बिछाने का काम 24 वर्षो में भी पूरा नहीं किया जा सका है. सीसीएल ने इसे ‘पिपरवार रेलवे साइडिंग परियोजना’ का नाम दिया था. पूरी परियोजना को दो भागों में बांटा गया है. […]

परियोजना निर्माण में भूमि अधिग्रहण बना बाधक
खलारी : सीसीएल द्वारा मैक्लुस्कीगंज रेलवे स्टेशन से पिपरवार तक 31 किमी लंबी रेल लाइन बिछाने का काम 24 वर्षो में भी पूरा नहीं किया जा सका है. सीसीएल ने इसे ‘पिपरवार रेलवे साइडिंग परियोजना’ का नाम दिया था. पूरी परियोजना को दो भागों में बांटा गया है.
रांची जिले में पड़ने वाले मैक्लुस्कीगंज से दामोदर नदी तक 13 किमी की दूरी को फेज वन का नाम दिया गया है. वहीं चतरा जिला अंतर्गत दामोदर से पिपरवार तक 18 किमी की दूरी फेज टू के अंतर्गत है. वर्ष 1991 से इस परियोजना में काम आरंभ हुआ है. इरकॉन (इंडियन रेलवे कंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड) ने इसे पूरा करने का जिम्मा लिया. वर्ष 2002 में परियोजना को अधूरा छोड़ कर इरकॉन चली गयी. आठ साल तक काम बंद रहने के बाद फरवरी 2010 से राइट्स ने इस परियोजना को पूरा करने का बीड़ा उठाया है.
परियोजना को पूरा करने में सबसे बड़ी समस्या उस जमीन के अधिग्रहण की थी, जहां से रेल लाइन को गुजरना था. रेल पटरी को 16 गांवों से होकर गुजरना था, जिनमें कोनका, मायापुर, महुलिया, नावाडीह, हेसालौंग फेज वन में आते हैं तथा कोयलारा, चिरलौंगा, बाली, सरैया, ठेठांगी, सिदालू, बिजैन, राजदार, कनौदा, बहेरा तथा कारो गांव फेज टू के हिस्से हैं.
इस परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण के एवज में सीसीएल अबतक लगभग 250 लोगों को नौकरी दे चुकी है. फेज टू जो चतरा जिले का हिस्सा था, वहां सीसीएल तथा चतरा जिला प्रशासन ने तत्परता दिखायी और विशेष मजिस्ट्रेट तैनात कर भूमि अधिग्रहण के सारे लंबित मामले निबटा लिये गये. वहीं रांची जिले में पड़ने वाली परियोजना के फेज वन भाग में भूमि अधिग्रहण आज भी बाधक बना हुआ है. आरंभ में परियोजना का फेज वन भाग जिले के बुढ़मू अंचल अंतर्गत था, लेकिन वर्ष 2009 में खलारी अंचल अलग होने के बाद फेज वन की परेशानियों को निबटाना खलारी अंचल के जिम्मे आ गया है.
खलारी अंचल अधिकारी एसके वर्मा ने बताया कि राजस्व विभाग सीसीएल को सकारात्मक सहयोग कर रहा है. जल्द ही खलारी अंचल अंतर्गत इस परियोजना की भूमि अधिग्रहण की परेशानियां समाप्त हो जायेंगी. जानकार बताते हैं कि परियोजना पूरा होने में विलंब होने के कारण 87 करोड़ रुपये की इस परियोजना की लागत बढ़ कर लगभग 150 करोड़ रुपये पहुंच गयी है. इस परियोजना में अबतक 100 करोड़ रुपये से अधिक खर्च हो चुके हैं.
वर्तमान में इस परियोजना को पूरा करने में लगे राइट्स के अभियंता राजीव रंजन कहते हैं कि आज भी भूमि अधिग्रहण की परेशानियां ही इस परियोजना के पूरा होने में बाधक बनी हुई है. उनका दावा है कि सीसीएल भूमि विवाद खत्म करा दे, तो इस वर्ष भी परियोजना का काम पूरा हो सकता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें