उन्होंने कहा कि वे एक शिक्षक के साथ-साथ भारत के नागरिक व आदिवासी भी हैं. इसी वजह से भारतीय संविधान में मिले अभिव्यक्ति के अधिकार का उन्होंने उपयोग किया. उन्होंने बताया कि अगर वे स्कूल या फिर कॉलेज परिसर के अंदर इस तरह की बातें करते या फिर छात्राअों को मोटिवेट करते तो फिर वे दोषी हो सकते थे, लेकिन अपने विचारों को उन्होंने सोशल मीडिया के जरिये सार्वजनिक किया है. लेकिन इस मामले में अगर उनसे किसी प्रकार का जवाब-तलब किया जायेगा तो अपने पक्ष को रखेंगे.
मामला : प्रिंसिपल. ग्रेजुएट कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ उषा शुक्ला ने कहा कि एक छात्र संगठन की अोर से विवि की कुलपति के नाम एक ज्ञापन सौंपा गया था. उक्त ज्ञापन में जीतराय हांसदा पर कार्रवाई की मांग की गयी थी. ज्ञापन को विवि प्रशासन के पास भेज दिया गया है. विवि के स्तर से ही इस मामले में कोई निर्णय लिया जायेगा.