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श्रद्धा व भक्तिभाव से हुई पूजा-अर्चना

श्रद्धालुओं व व्रतियों ने कलश यात्रा निकाली, शहर में 30 अखाड़ों में मां मंगला की आराधना जमशेदपुर : शहर में मां विपत्तारिणी माता मां मंगला की श्रद्धा व भक्तिभाव से पूजा-अर्चना की गयी. शहर में करीब 30 आखाड़ों पर मां मंगला की विधि-विधान से श्रद्धालुओं व व्रतियों ने आराधना की. दोपहर में व्रतियों ने सुवर्णरेखा […]

श्रद्धालुओं व व्रतियों ने कलश यात्रा निकाली, शहर में 30 अखाड़ों में मां मंगला की आराधना

जमशेदपुर : शहर में मां विपत्तारिणी माता मां मंगला की श्रद्धा व भक्तिभाव से पूजा-अर्चना की गयी. शहर में करीब 30 आखाड़ों पर मां मंगला की विधि-विधान से श्रद्धालुओं व व्रतियों ने आराधना की. दोपहर में व्रतियों ने सुवर्णरेखा नदी घाट व अन्य जलाशय से कलश यात्रा निकाल जल लाया. श्रद्धालु महिला व व्रती अपने माथे पर कलश लिये नंगे पांव धूप में चल रही थीं.
इस दौरान बच्चों में व्रती महिलाओं की पैर छूने की होड़ लगी रही. इसके बाद शाम में विभिन्न आखड़ों में कलश की विधिवत स्थापना कर मां मंगला की पूजा-अर्चना की गयी. श्रद्धालुओं व व्रतियों ने मां मंगला को आम,
चहार, महुआ व फूल अर्पित कर अपने मन की मुरादों को पूरा करने की विनती की. श्रद्धालुओं ने अपने परिवार की सुख- समृद्धि, रोग-मुक्त जीवन व संतान की प्राप्ति समेत अन्य दुख-तकलीफ की मां से विनती की व माता के चरणों में अपना मत्था टेका.
मंगला पूजा के बाद ही नये फल-फूल करते हैं. हरिजन समाज में मां मंगला को प्रकृति से प्राप्त नये फल व फूल सेवन करने की मान्यता है. हरिजन समाज के लोग चार मंगलवार को मां मंगला को धूना-धूप दिखाकर उनके प्रति अपनी श्रद्धा को प्रकट करते हैं. उनकी पूजा-अर्चना उन्हें खुश करने का प्रयास करते हैं, ताकि मां मंगला की हमेशा कृपा दृष्टि बनी रहे. अन्य समाज व समुदाय के लोग जो विभिन्न समस्या व तकलीफ से जूझ रहे हैं, वे भी हरिजन समाज के घर में जाकर मां मंगला की पूजा-अर्चना की उनकी कृपा का पात्र बनते हैं.
इन जगहों में निकलती है कलश यात्रा
शहर में विभिन्न हरिजन बस्ती में करीब 30 अखाड़ों में मां मंगला की पूजा अर्चना होती है. इन जगहों से श्रद्धालुओं व व्रतियों का समूह जिन्हें मन्नत मांगनी होती है. वे इस कलश यात्रा में शामिल होती हैं. मंगलवार को भुइयांडीह, भालुबासा, टिनप्लेट, सिदगोड़ा, बिरसानगर, बारीडीह, बर्मामाइंस, 10 नंबर बस्ती, एग्रिको, साकची व मानगो आदि जगहों से कलश यात्रा निकाला. अधिकतर बस्ती के लोग भुइयांडीह नदी घाट से कलश में जल लेकर जाते हैं. कई अखाड़े अपने बस्ती के पास के जलाशयों से भी जल भरकर ले जाते हैं.

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