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‘इवेंट मैनेजमेंट’ के बोझ से कराह रहा प्रशासन

जमशेदपुर: कुछ साल पहले तक जिला प्रशासन का पूरा ध्यान जहां विकास कार्यों एवं विधि-व्यवस्था संधारण पर होता था, वहीं विगत कुछ वर्षों से जिला प्रशासन इवेंट मैनेजमेंट ग्रुप बन कर रह गया है, जो विभिन्न विषयों पर बड़े इवेंट जुटाने में व्यस्त रहता है. कुछ वर्ष पूर्व तक साल में एक विकास मेला आयोजित […]

जमशेदपुर: कुछ साल पहले तक जिला प्रशासन का पूरा ध्यान जहां विकास कार्यों एवं विधि-व्यवस्था संधारण पर होता था, वहीं विगत कुछ वर्षों से जिला प्रशासन इवेंट मैनेजमेंट ग्रुप बन कर रह गया है, जो विभिन्न विषयों पर बड़े इवेंट जुटाने में व्यस्त रहता है.
कुछ वर्ष पूर्व तक साल में एक विकास मेला आयोजित होता था, जिसमें विभिन्न विभाग अपने-अपने स्टॉल लगाते थे तथा उसी में विकास योजनाअों की घोषणा की जाती थी. लेकिन अब उसके स्थान पर कई बड़े आयोजन हो रहे हैं, जिनकी तैयारियों से लेकर भीड़ जुटाने तक की जिम्मेवारी जिला प्रशासन की होती है. इस दौरान जिले से लेकर प्रखंड और पंचायत स्तर तक का सरकारी महकमा आयोजन में जुटा रहता है. इसका सीधा असर जिले की विकास योजनाअों अौर दूसरे कार्यों पर पड़ रहा है. पर्यटन, नीति आयोग, खादी ग्रामोद्योग बोर्ड, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग समेत अलग-अलग विभागों द्वारा जिले में बड़े इवेंट तय किये जा रहे हैं. इन सभी आयोजनों की जिम्मेवारी जिला प्रशासन को सौंप दी जाती है, जिसमें जिले के सभी विभागों के अधिकारियों को शामिल होना पड़ रहा है. इससे पूरे जिला प्रशासन की भूमिका इवेंट मैनेजमेंट ग्रुप जैसी होकर रह जा रही है.
फिल्म फेस्टिवल व खादी मेला स्थगित. सहायक निदेशक, फिल्म समारोह निदेशालय, नई दिल्ली के निर्देश पर आजादी के 70 साल पर (70 साल आजादी, याद करो कुर्बानी) सिदगोड़ा टाउन हॉल में 28 फरवरी एवं 1 मार्च को दो दिवसीय फिल्म फेस्टिवल का आयोजन होना था. पिछले दिनों हुए डिजिधन मेला अौर आगामी 26 फरवरी को मुख्यमंत्री के कार्यक्रम को देखते हुए फिल्म फेस्टिवल को फिलहाल स्थगित कर दिया गया है. इसी तरह 24 फरवरी से गोपाल मैदान में 9 दिवसीय खादी मेला आयोजित करने की घोषणा की गयी थी जो फिलहाल स्थगित कर दी गयी है, हालांकि इसका कारण गोपाल मैदान खाली नहीं होना बताया जा रहा है.
मनरेगा व प्रमाण पत्र निर्गत करने पर पड़ा असर
जिले के बड़े आयोजनों में पदाधिकारियों की व्यस्तता का सीधा असर विकास योजनाअों तथा दूसरे कार्यों पर असर पड़ा है. मनरेगा रोजगार सेवकों के सामूहिक इस्तीफे के कारण विगत 9 फरवरी से मनरेगा का बुरा हाल है. मजदूर अौर वर्क साइट को बढ़े हैं, लेकिन मानव दिवस-सृजन नहीं बढ़ रहा है. दूसरी ओर वित्तीय वर्ष की समाप्ति के महज एक माह बचे हैं, किन्तु जिले में मानव दिवस सृजन का प्रतिशत 62 तक ही पहुंचा है. इसी तरह राजस्व कर्मियों की हड़तालके कारण विगत 10 फरवरी से छात्र-छात्राअों का स्थानीयता, जाति एवं आय प्रमाणपत्र बनना बंद है. कर्मचारियों की लॉगिन में 4 हजार से ज्यादा प्रमाण पत्रों के आवेदन लंबित पड़े हैं, लेकिन बड़े आयोजनों में व्यस्तता के कारण प्रमाण पत्रों के वैकल्पिक उपाय नहीं हो पा रहे हैं. इनमें से अधिकांश आवेदन ऐसे हैं जिन्हें होम गार्ड की बहाली, हाइ स्कूल में टीचर बहाली में उक्त प्रमाण पत्र देने हैं, लेकिन प्रमाणपत्र नहीं बनने से उनका भविष्य अंधकार मय हो रहा है.

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