जमशेदपुर. डायरेक्टर जेनरल ऑफ सेंट्रल एक्साइज (इनवेस्टिगेशन) (डीजीसीआइ) की रिपोर्ट के आधार पर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने जमशेदपुर में फरजी कंपनियों की जांच की पहल की है. विशेष टास्क फोर्स (एसआइटी) को इस मामले की जांच का काम सौंपा गया है, जिसके आधार पर ही आगे कार्रवाई होगी. डीजीसीआइ की जांच में जमशेदपुर के व्यापारियों […]
जमशेदपुर. डायरेक्टर जेनरल ऑफ सेंट्रल एक्साइज (इनवेस्टिगेशन) (डीजीसीआइ) की रिपोर्ट के आधार पर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने जमशेदपुर में फरजी कंपनियों की जांच की पहल की है. विशेष टास्क फोर्स (एसआइटी) को इस मामले की जांच का काम सौंपा गया है, जिसके आधार पर ही आगे कार्रवाई होगी.
डीजीसीआइ की जांच में जमशेदपुर के व्यापारियों के एक वर्ग द्वारा कोलकाता के रास्ते फरजी कंपनियां संचालित किये जाने का पता चला था, जिनके कारण सरकार के साथ ही आम लोगों को भी नुकसान होने की बात सामने आयी थी. जांच के क्रम में कोलकाता में कुल 315 कंपनियों के पंजीकृत होने का पता चला, जिनकी जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आये. कंपनी नहीं, बिलिंग दिखा दी. इन्वेस्टिगेशन विंग ने करीब पांच साल का रिकॉर्ड खंगाला. इसमें स्पष्ट हुआ कि बिलिंग तो की गयी है, लेकिन जो बिल तैयार किया गया, उस कंपनी का कोई औचित्य ही नहीं है और न ही कोई वजूद है.
इन कंपनियों ने अपने नाजायज उत्पादन को जायज ठहराने के लिए जमशेदपुर की इन फर्मों (फरजी कंपनियों) से केवल 1200 रुपये प्रति टन की दर से बिल और परमिट की खरीद की. चौंकाने वाली बात तो यह है कि ये जाली फर्में और कंपनियां सेल्स टैक्स विभाग में बकायदा रजिस्टर्ड हैं.
नरेडी व भालोटिया के पास से मिली जानकारियां
सेंट्रल एक्साइज ने जुगसलाई और आदित्यपुर में नरेडी बंधुओं और चिंटू भालोटिया के ठिकानों पर काफी देर तक सर्च किया था. वहीं से पूरे मामले के सूत्र मिले थे. इनके पास से कई दस्तावेज हाथ लगे थे, जिनकी मदद से ही विभाग पूरे मामले का उद्भेदन करने में जुटा था. इसके आधार पर ही एसआइटी को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गयी है.