पानी के लिए बोरिंग तो हो गयी है, किन्तु उसमें कनेक्शन नहीं दिया गया है, जिसके कारण शौचालय अब तक शुरू नहीं हो सका है. इंडियन वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष मुकेश कुमार दास ने बताया कि तीन साल में भी काम पूरा नहीं हो पाने की ओर विगत एक साल से जेएनएसी का ध्यान आकृष्ट कराया जा रहा है अौर हर बार काम शीघ्र पूरा हो जाने का आश्वासन दिया जाता है, लेकिन स्थिति जस की तस है.
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एेसे कैसे खुले में शौच से मुक्त होगा पूर्वी सिंहभूम, बर्मामाइंस दास बस्ती में तीन साल से बन रहा शौचालय
जमशेदपुर: एक अोर जहां पूरे देश को खुले में शौच-मुक्त बनाने अौर इसके लिए व्यक्तिगत-सामुदायिक शौचालय बनवाने का काम जोरों से चल रहा है, वहीं दूसरी ओर जेएनएसी क्षेत्र में पिछले तीन सालों से चल रहा सामुदायिक सुलभ शौचालय बनाने का काम अब तक पूरा नहीं हो सका है. तीन साल में भी काम पूरा […]
जमशेदपुर: एक अोर जहां पूरे देश को खुले में शौच-मुक्त बनाने अौर इसके लिए व्यक्तिगत-सामुदायिक शौचालय बनवाने का काम जोरों से चल रहा है, वहीं दूसरी ओर जेएनएसी क्षेत्र में पिछले तीन सालों से चल रहा सामुदायिक सुलभ शौचालय बनाने का काम अब तक पूरा नहीं हो सका है. तीन साल में भी काम पूरा नहीं हो पाने से बस्तीवासी खुले में शौच जाने को मजबूर हैं.
याद रहे कि जेएनएसी के फंड से बर्मामाइंस दास बस्ती में लगभग आठ लाख की लागत से फोर सीटर सामुदायिक सुलभ शौचालय-स्नानागार का निर्माण होना था, जिसका तत्कालीन सांसद डॉ अजय कुमार ने 28 दिसंबर 2013 को शिलान्यास किया था. जेएनएसी ने उस वक्त शौचालय निर्माण का कार्य एक साल के अंदर पूरा होने की बात कही थी, लेकिन आज तीन साल बाद भी वह काम पूरा नहीं हो सका है. शौचालय के बाहरी छोर पर भवन बनाने, टाइल्स लगाने अौर पेंटिंग का काम पूरा हो गया है, लेकिन अंदर बिल्कुल ही काम नहीं हो पाया है.
बस्ती के सौ में से किसी घर में शौचालय नहीं, बाहर जाना मजबूरी : दास बस्ती के लोगों ने बताया कि बस्ती में लगभग सौ घर हैं. अधिकांश लोग गरीब हैं, लेकिन झोपड़ीनुमा किसी घर में शौचालय नहीं है, जिसके कारण बस्ती के महिला-पुरुष, सभी को नजदीक के नाले में शौच के लिए जाना पड़ता है.
स्वच्छता सर्वेक्षण टीम नहीं गयी बस्ती : शहर की रैकिंग के लिए हुए स्वच्छता सर्वेक्षण में खुले में शौच का भी महत्वपूर्ण अंक दिया गया है, लेकिन 7 से 9 जनवरी तक जेएनएसी क्षेत्र में आयी स्वच्छता सर्वेक्षण की टीम इस बस्ती में नहीं पहुंची, जहां सभी खुले में शौच को मजबूर है.
वर्ष 2013 से ही शौचालय सह स्नानागार का निर्माण चल रहा है, लेकिन अब तक पूरा नहीं हुआ है. इस कारण बस्ती की महिलाअों समेत सभी को शौच के लिए खुले नाले में जाना पड़ता है. जेएनएसी से हर बार काम जल्द पूरा कराने का आश्वासन मिला, लेकिन अधूरा है.
डब्लू दासी, स्थानीय निवासी
बस्ती में लगभग सौ घर हैं जिनमें दो सौ से ज्यादा की आबादी रहती है, किन्तु बस्ती के किसी घर में शौचालय नहीं है. सामुदायिक शौचालय बनने से खुले में शौच की समस्या से निजात मिलती, लेकिन पदाधिकारियों की लापरवाही के कारण वह भी पूरा नहीं हो पाया.
गोपाल दास, स्थानीय निवासी
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