जमशेदपुर: सरकारी जमीन की बिक्री और रजिस्ट्री करने के मामले की अगर उच्चस्तरीय जांच की गयी तो कई आवासीय कांप्लेक्स और फ्लैट को खाली कराने की नौबत आ जायेगी.
सैकड़ों लोगों की गाढ़ी कमाई रातों रात छिन जायेगी. जमीन के दलालों और सरकारी महकमों की मिलीभगत से हुई इस खरीद बिक्री में अब तक भले ही किसी भी पदाधिकारी या खरीद बिक्री करने वाले पर मुकदमा तक नहीं हुआ हो, लेकिन इसके पुख्ता प्रमाण मिल चुके है कि सरकारी जमीन की बिक्री ही नहीं हुई बल्कि उसकी रजिस्ट्री भी रजिस्ट्रार की ओर से कर दी गयी.
यहीं नहीं, इस रजिस्ट्री के आधार पर मानगो अक्षेस, जमशेदपुर अक्षेस और जुगसलाई नगरपालिका की ओर से नक्शा भी पारित कर दिया गया. सबसे चौंकाने वाला काम तो अंचल कार्यालय में हुआ. वर्ष 2012-2013 में ये सारी सरकारी जमीन की खरीद-बिक्री की गयी है. जंगल और वन भूमि की भी डिग्री हो चुकी है और रेंट फिक्सेश्न तक कराया जा चुका है. ऐसे ही मामले की जांच देवघर में सीबीआइ कर रही है, लेकिन जमशेदपुर में जिला प्रशासन ने सरकारी जमीन की लूट पर चुप्पी साध रखी है.