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ईद उल अजहा. अल्लाह की राह में निभाया कुर्बानी का फर्ज
जमशेदपुर : मुसिलम समुदाय ने मंगलवार काे कुर्बानी का त्योहार ईद उल अजहा (बकरीद) अकीदत के साथ मनाया. सुबह तय समय पर मसजिदाें-ईदगाह में इमाम आैर इमाम ए इदैन ने नमाज अदा करायी. नमाज के पूर्व खुतबा में मसजिदाें से ऐलान किया गया कि आपसी साैहार्द के साथ पर्व मनायें. देश की तरक्की में याेगदान […]
जमशेदपुर : मुसिलम समुदाय ने मंगलवार काे कुर्बानी का त्योहार ईद उल अजहा (बकरीद) अकीदत के साथ मनाया. सुबह तय समय पर मसजिदाें-ईदगाह में इमाम आैर इमाम ए इदैन ने नमाज अदा करायी. नमाज के पूर्व खुतबा में मसजिदाें से ऐलान किया गया कि आपसी साैहार्द के साथ पर्व मनायें. देश की तरक्की में याेगदान दें. सभी ने जमात में खड़े हाेकर सजदा किया. नमाज के बाद एक-दूसरे काे गले लगकर ईद उल अजहा की बधाई दी.
नमाज अदा करने के बाद लाेग अपने घर लौटे. इसके बाद कुर्बानियाें का दाैर शुरू हुआ. यह त्योहार तीन दिनाें तक मुसलिम बाहुल क्षेत्राें में मनाया जायेगा. नमाज के पूर्व शहर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम कर दिये गये थे. दंडाधिकारी के नेतृत्व में पुलिस पेट्राेलिंग पार्टी अलग-अलग क्षेत्राें में कैंप कर रही थी. थाना प्रभारी क्षेत्र में गश्त पर निकले थे.
कुरबानी के साथ ही शुरू हाे गया खाने-खिलाने का दाैर. सुबह सभी नये कपड़े पहन कर लोग मसजिद-ईदगाह की आेर नमाज पढ़ने के लिए चल पड़े. सामूहिक दुआ की गयी. इसके बाद कुर्बानियाें का सिलसिला दाेपहर तक चलता रहा. इसके बाद एक-दूसरे के यहां तक्सीम करने का दाैर चला. कुरबानी की साैगात एक-दूसरे के घर भेजी गयी. एक हिस्सा गरीब-मिसकिनाें के बीच बांटा जाता है. ऐसी व्यवस्था समाज में सभी काे बराबरी का संदेश देती है. मंगलवार को मुसलिम मुहल्लाें में दुकानें बंद थी.
लजीज व्यंजन पराेसे गये. बकरीद के दौरान अधिकांश लाेग कबाब, मुगलई पराठे, शामी टिक्का, हैदराबादी बिरयानी, हलीम के साथ व्यजंनाें का लुत्फ उठाया.
ईदगाह में बारिश से परेशानी. जुगसलाई ईदगाह में बारिश के कारण थोड़ी परेशानी हुई. ईदगाह में दाे बार नमाज पढ़ी गयी. पहली जमात में माैलाना शाह आलम ने सुबह सवा सात बजे में नमाज पढ़ायी, जबकि दूसरी जमात में कादरी मसजिद प्रांगण में नमाज कारी मुश्ताक अहमद ने पढ़ायी. आजादनगर ईदगाह में लोग अपने साथ जै नमाज की व्यवस्था कर पहुंचे थे.
नहीं लगा कहीं मेला. बारिश के कारण कहीं भी मेला नहीं लगा. हालांकि जुगसलाई में तैयारियां की गयी थी.
मसजिदाें में की गयी दुआ
मसजिदाें में अमन व शांति की दुआ की गयी. कीताडीह मसजिद में कारी इसहाक अंजुम, मकदुमपुर में माैलाना अब्बास, गाैशाला में कारी निशात, गाेलमुरी में हाफिज शमशीर, साेनारी में हाफिज अहमद, मुंशी माेहल्ला में माैलाना हैदर, बारी मसजिद में माैलाना हारुन रशीद, शास्त्रीनगर में माैलना इम्तियाज, साबरी मसजिद में माैलाना सलीम, हुसैनी मसजिद में इमाम सैय्यद सैफुद्दीन असदक, मदरसा गाैसिया में कारी रजाउद्दीन, जियाइया मरकजी दारुल करात में कारी असलम रब्बानी, जुगसलाई कादरी मसजिद में कारी मुश्ताक, जुगसलाई जामा मसजिद में हाफिज बशारत ने नमाज पढ़ायी.
मसजिद व ईदगाह में पढ़े गये खुतबे
ईदगाह में पेश ए इमाम ने अपने खुतबे में कहा कि अल्लाह पैगंबर माेहम्मद सअ. ने अपने सहाबा-ए-कराम से कहा कि कुरबानी सुन्नत इब्राहिमी है. सहाबा ए कराम ने कहा कि कुरबानी करने से हमें क्या मिलेगा. अल्लाह के रसूल ने फरमाया- आप कुरबानी करें. जिस जानवर की कुरबानी जाे करेगा, उसके शरीर पर जितने बाल हाेंगे, उतनी नेकियां आैर सवाब आपकी झाेली में डाल दी जायेंगी. अल्लाह के बताये उसूलाें पर चल कर कुरबानी से मिलनेवाली भावना आैर त्याग के साथ कुरबानी काे बाजिव करार दिया गया. इसके बाद सभी ने मिलकर अल्लाह से गलतियाें के लिए क्षमा करने और बेहतरी का रास्ता दिखाने व कुर्बानी काे स्वीकार करने की दुआ मांगी.
साकची में शिया समुदाय ने पढ़ी नमाज
साकची एल टाउन हुसैनी मिशन वेलफेयर में शिया समुदाय के लाेगाें ने सुबह नाै बजे नमाज पढ़ी. एसएम हैदर ने इसकी पूरी तैयारी की थी. एल टाउन से क्वार्टर खाली हाे रहे हैं, लेकिन हुसैनी मिशन अपने धार्मिक कार्य यहीं से संचालित कर रहा है. इसके अलावा सभी अहल ए हदीस की मसजिदाें में भी नमाज पढ़ी गयी.
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