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ताज काे पीलेपन से बचायेगी एनएमएल की तकनीक
जमशेदपुर : ताजमहल की खूबसूरती एक बार फिर खतरे में पड़ती दिख रही है. आगरा में नगर निकास की आेर से कूड़ा जलाये जाने की वजह से ताजमहल पर पीलापन का खतरा मंडराने लगा है. इसकाे लेकर एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. एनजीटी में ग्रीन एक्टिविस्ट द्वारा दायर याचिका […]
जमशेदपुर : ताजमहल की खूबसूरती एक बार फिर खतरे में पड़ती दिख रही है. आगरा में नगर निकास की आेर से कूड़ा जलाये जाने की वजह से ताजमहल पर पीलापन का खतरा मंडराने लगा है. इसकाे लेकर एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. एनजीटी में ग्रीन एक्टिविस्ट द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि कूड़ा जलाये जाने से हुए प्रदूषण के कारण ताजमहल पीला पड़ गया है. आगरा में नगर निकाय एजेंसी द्वारा सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के नियमाें की अनदेखी कर प्रतिदिन 2000 मीट्रिक टन कूड़ा खुले में जलाया जा रहा है.
ताजमहल काे प्रदूषण से बचाने के लिए बनायी कूपाेला फर्नेस तकनीक. सीएसआइआर-एनएमएल ने ताजमहल पर चढ़ रही पीली परत काे राेकने के लिए कूपाेला फर्नेस तकनीक का अविष्कार किया था. यह तकनीक कुछ महंगी आैर मानदंडाें के अनुरूप थी, जिसके कारण उसे वहां के उद्यमियाें ने लागू नहीं किया. सरकार आैर पर्यावरण विभाग ने भी इस दिशा में काेई ठाेस कदम नहीं उठाया, जिसके कारण ताजमहल के आस-पास प्रदूषण काे कम नहीं किया जा रहा है.
एनएमएल ने अपनी रिपाेर्ट में कहा था कि ताजमहल के आस-पास की छाेटी आैद्याेगिक इकाइयाें काे शिफ्ट कर दिया जाना चाहिए. वहां लाे पिट काेयले का इस्तेमाल किया जाता है, जिसके कारण वहां हाई सल्फर डाइ अॉक्साइड पैदा हाेता है. कम गुणवत्ता का काेयला वहां सस्ता मिलता है. सल्फर जब हवा में हाेता है, ताे वह रात के वक्त एसिड रेन के रूप में गिरता है. इसके बदले यदि स्थानीय आैद्याेगिक इकाइयां उच्च क्वालिटी का काेयला इस्तेमाल करें, ताे नुकसान काे कम किया जा सकता है. एनएमएल द्वारा विशेष रूप से डिजाइन किया गया कूपाेला (फर्नेस) तकनीक तैयार की गयी है. कूपाेला का इस्तेमाल गैस के माध्यम से हाेगा.
एनएमएल की तकनीक काफी कारगर है. सरकार यदि उन्हें यह तकनीक उपलब्ध करायेगी, ताे औद्योगिक इकाइयां इसे स्वीकार करेंगी. गैस बेस्ड फर्नेस का प्रचलन काफी तेजी से बढ़ा है. ऐतिहासिक धराेहर काे बचाने के लिए सरकार काे इस दिशा में साेचना हाेगा. डॉ एनजी गाेस्वामी, चीफ साइंटिस्ट, सीएसआइआर-एनएमएल.
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