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असहायों की मदद के संकल्प ने बनायी राह

रीमा डे जमशेदपुर : जिंदगी केवल अपने लिये जिया, तो क्या जिया… कुछ ऐसी ही सोच है एग्रिको निवासी विश्वजीत प्रसाद की. विश्वजीत आजकल के युवाओं के लिए मिसाल हैं. 25 वर्ष के विश्वजीत टाटा स्टील में कार्यरत हैं और साथ ही ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहे हैं. नौकरी और पढ़ाई के बाद खाली वक्त […]

रीमा डे
जमशेदपुर : जिंदगी केवल अपने लिये जिया, तो क्या जिया… कुछ ऐसी ही सोच है एग्रिको निवासी विश्वजीत प्रसाद की. विश्वजीत आजकल के युवाओं के लिए मिसाल हैं. 25 वर्ष के विश्वजीत टाटा स्टील में कार्यरत हैं और साथ ही ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहे हैं. नौकरी और पढ़ाई के बाद खाली वक्त में विश्वजीत जरूरतमंदों की सेवा करने में बिताना पसंद करते हैं. वे अपने कुछ चुनिंदा दोस्ताें के साथ बस्ती दर बस्ती जाकर जरुरतमंद बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देते हैं और साथ ही वक्त-वक्त पर वृद्धाश्रम, अनाथालय आदि में जाकर असहायों की यथासंभव मदद करते हैं.
सोशल मीडिया बनी सहायक
विश्वजीत ने बताया कि पुराने कपड़ों के कलेक्शन के दौरान उन्होंने इस काम की कुछ तसवीरें सोशल मीडिया पर शेयर कीं. इससे प्रेरित होकर दूसरे शहरों के कई युवाओं ने भी इस कार्य से जुड़ने की इच्छा जतायी़ इसके बाद इस टीम को ‘रिपब्लिकंस चैलेंज’ नाम दिया गया. इसी नाम से मुंबई, बंगलौर आदि शहरों में संस्था खुली. टीम के सदस्य अलग-अलग पेशे से जुड़े हुए हैं और फुर्सत के पलों में सामाजिक कार्य करते हैं. मुंबई की टीम अपने अॉफिस के गरीब स्टाफ को काम के बाद कंप्यूटर का प्रशिक्षण दे रही है. वहीं बेंगलुरु की टीम अनाथ आश्रम में सहयोग प्रदान कर रही है.
शुरुआत में सबने उड़ाया मजाक
विश्वजीत बताते हैं कि शुरुआती दिनों में दोस्तों ने उनके इस काम की कद्र नहीं की और उनका मजाक उड़ाया. उनकी शिद्दत देेखकर कुछ दोस्त आगे आये व इसके बाद एक टीम बनाकर छायानगर बस्ती में गरीब बच्चों में शिक्षादान किया गया.

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