जमशेदपुर: नर्सरी में एडमिशन की प्रक्रिया को लेकर होने वाले सरकारी हस्तक्षेप के खिलाफ जमशेदपुर के निजी स्कूल प्रबंधन ने बैठक कर स्पष्ट किया है कि वे इस बार किसी भी डाटा को आरटीइ के नोडल पदाधिकारी के साथ शेयर नहीं करेंगे. जमशेदपुर अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने कहा कि वे सरकारी पदाधिकारियों के द्वारा न ही लॉटरी में इस्तेमाल होने वाले सरस सॉफ्टवेयर की जांच करवायेंगे और न ही किस राउंड में किस बच्चे का सेलेक्शन किया गया है, इसे भी बतायेंगे. इस फैसले की एक कॉपी को जमशेदपुर के 43 निजी स्कूलों की टीम ने जिला शिक्षा विभाग को भेज दिया है.
फैसले के पीछे का तर्क
सभी निजी स्कूलों ने फैसले का आधार दिल्ली हाइकोर्ट के एक जजमेंट को बनाया है. दिल्ली हाइकोर्ट ने अगस्त में एक फैसला सुनाया. इसके अनुसार देश में 6 से 14 साल तक के बच्चे को अनिवार्य रुप से शिक्षा उपलब्ध करवाना है. इसमें उन्हें एडमिशन की प्रक्रिया डिफाइन करने का अधिकार नहीं दिया गया है. इसके लिए निजी स्कूल स्वतंत्र हैं. सिर्फ उन्हें बच्चे का टेस्ट नहीं लेना है. इस फैसले के आलोक में ही शहर के निजी स्कूल प्रबंधन द्वारा यह फैसला लिया गया है.
425 नहीं 1100 रुपये चाहिए
केंद्र और राज्य सरकार की ओर से संयुक्त रूप से सभी निजी स्कूलों में 25 } आरक्षित श्रेणी के बच्चे को मुफ्त में पढ़ाने के एवज में उन्हें राशि दी जानी है. यह राशि कितनी होगी, इसे लेकर राज्य सरकार अब तक ठोस निर्णय पर नहीं पहुंच पायी है. सरकार की ओर से फिलहाल 425 रुपये तय किया गया है. हालांकि अब तक इसकी अधिसूचना जारी नहीं की गयी है. जमशेदपुर के निजी स्कूल प्रबंधन ने प्रति बच्चे 425 रुपये नहीं लेने की घोषणा की है. इसे लेकर जमशेदपुर के प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने एचआरडी के सचिव से मुलाकात की और इस राशि को बढ़ाने की मांग की है. न्यूनतम प्रति बच्चे 1000 रुपये देने की मांग की गयी है.