खौफनाक था मंजर, आंख के सामने बह गया बच्चा – शहर लौटने लगे हैं चेन्नई के जल प्रलय में फंसे शहर के छात्र, सुनायी आंखों देखी दास्तांवरीय संवाददाता, जमशेदपुरचेन्नई में आये जल प्रलय में शहर के सैकड़ों छात्र फंसे हुए हैं. सेना, नेवी, एयर फोर्स, एनडीआरएफ के कमान संभालने और पानी कम होने पर धीरे-धीरे हालात सामान्य हो रहे हैं. इसके साथ ही 10 दिनों से ज्यादा समय तक चेन्नई के भयंकर बाढ़ में फंसे शहर के छात्र अपने घर लौटने लगे हैं. चेन्नई में सोमवार को लौटे टिनप्लेट निवासी अभिषेक दत्ता ने प्रभात खबर से जल प्रलय के खौफनाक मंजर का बयां किया. उसने बताया कि सड़क, हाइवे से लेकर खेतों तक सिर्फ पानी ही पानी था. रेल लाइन, बस स्टैंड, मेन रोड, हाइवे, कॉलेज सब कुछ पानी में डूबा हुआ था. एक बुजुर्ग व्यक्ति के साथ जा रहे दो बच्चों में से एक बच्चा आंखों के सामने बह गया, जबकि बुजुर्ग व दूसरे बच्चे को किसी तरह बचाया गया. चेन्नई स्थित एसआरएम यूनिवर्सिटी में सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के फाइनल इयर के छात्र अभिषेक के अनुसार ऐसे खौफनाक समय में स्थानीय लोग मुसीबत में फंसे हुए लोगों के लिए दूत बन कर एकजुट रहे. ऊंचे क्षेत्र के लोग डूबे हुए क्षेत्र के लोगों को बचाने में लगे रहे. दो दिनों तक रहा भूखा, कई किमी पैदल चलना पड़ाचेन्नई स्थित एसआरएम यूनविर्सिटी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे टिनप्लेट निवासी अभिषेक दत्ता अपने अन्य साथियों के साथ काफी मुश्किल से सोमवार की रात जमशेदपुर पहुंचे. प्रभात खबर से बातचीत में अभिषेक ने बताया कि वे चेन्नई से दूर गुडूवेंचरी क्षेत्र माडमबाकम एरिया में किराये का मकान लेकर पढ़ाई कर रहे हैं. 16 नवंबर से बारिश शुरू हुई, लेकिन 18 नवंबर तक स्थिति सामान्य थी. बारिश के कारण एक-एक दिन कर कॉलेज की छुट्टी बढ़ायी जा रही थी. 22 नवंबर से तेज बारिश शुरू हुई अौर क्षेत्र में पानी भरने लगा. कई क्षेत्र में पानी घुस गया था अौर जो क्षेत्र डूब क्षेत्र में आ गये थे वहां कॉलेज के अन्य छात्रों, स्थानीय पुलिस अौर उस समय मौजूद सेना व राहत कर्मियों के साथ लोगों को बचाने के प्रयास में जुट गया. इस दौरान बनाये गये अस्थायी राहत कैंप से भोजन मिला. दो-तीन दिनों तक कम बारिश हुई इसके बावजूद कई क्षेत्र डूबे हुए थे. इस दौरान चेन्नई सेंट्रल से आ रहे दोस्त पटना निवासी मयंक अभिषेक को रेलवे ट्रैक में पानी भरने के कारण लगभग 30 किमी दूर ही ट्रेन से पलावरम में उतरना पड़ गया. 20 किमी दूर तक वह सामान ढोने वाली गाड़ी से आया, लेकिन उसके आगे आने का कोई साधन नहीं रहने के कारण आठ किमी दूर पैदल चल कर उसे लाना पड़ा. 30 नवंबर की सुबह पानी कुछ कम हुई तो स्थानीय लोगों ने मानव श्रृंखला बना कर फंसे हुए लोगों विशेष कर बुजुर्गों को बचा कर सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया. कुछ देर के लिए बिजली भी बहाल की गयी. 1 दिसंबर से पुन: तेज बारिश शुरू हुई अौर देखते ही देखते पूरा इलाका जलमग्न होने लगा. माडमबाकम का ऊपरी इलाका उरापकम अौर गुडूवांचरी का क्षेत्र सर्वाधिक प्रभावित था जिसके कारण माडमबाकम से बाहर निकलना बंद हो गया. भारी बारिश अौर क्षेत्र जलमग्न होने के कारण बिजली, खाना, पानी की आपूर्ति ठप हो गयी. घर में पानी का जो स्टॉक था उससे काम चलाना पड़ा. कुछ-कुछ स्थानों पर दूध दो सौ रुपये लीटर तथा पीने का पानी सौ-डेढ़ सौ रुपये में मिल रहा था. इस दौरान उसे अौर उसके साथ रहने वाले त्रिची निवासी शिवा सूर्या को कॉलेज बंद हो जाने के कारण घर में ही कैद होकर रहना पड़ा. सड़क पर पानी फैला हुआ था अौर कार लेकर निकलने पर वह फंस गयी. बाइक लेकर निकलना भी संभव नहीं हो सका. उरापकम(टीटीसी नगर) में नाले के ऊपर बने पुल के पास के एक क्रास रोड से दो बच्चों के साथ दो बच्चों के साथ जा रहे एक बुजुर्ग पानी के तेज बहाव में बहने लगे. स्थानीय कुछ लोगों की मदद से बुजुर्ग व 15 साल के एक बच्चे को तो बचा लिया गया, लेकिन 10-12 साल का बच्चा बह गया. 2 नवंबर को वह अौर उसके साथियों ने घर लौटने का मन बनाया अौर वह, पटना निवासी मयंक अभिषेक, इंडियन मेरिन एकेडमी के छात्र रिषभ व शुभम,वीआइटी चेन्नई का छात्र दीप अौर एसआरएम में पढ़ने वाली बोकारो की नताशा घर लौटने के लिए नजदीक के एगमोर स्टेशन तक के लिए निकल गये. अॉटो वाले ने तीन गुणे किराये पर जहां तक पहुंचा जा सकता था वहां तक पहुंचाया. स्टेशन पहुंचने पर ट्रेन कैंसिल होने की जानकारी मिली फिर किसी तरह व्यवस्था कर सीएमबीटी स्टेशन पहुंचे अौर ट्रेन पकड़ कर जमशेदपुर पहुंचे. इस दौरान ऐसा भी समय आया जब दो दिनों तक भूखे रहना पड़ा.
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खौफनाक था मंजर, आंख के सामने बह गया बच्चा
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