आतंकवाद का केवल वार्ता के जरिये ही हल नहीं किया जा सकता : श्रीश्री रविशंकरभोपाल. आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर ने रविवार को कहा कि आतंकवाद पर केवल बातचीत के जरिये अंकुश नहीं पाया जा सकता है बल्कि साथ ही आतंकवादियों पर सशस्त्रबलों का दबाव डाला जाना चाहिए, ताकि उन्हें समझ में आये कि हर व्यक्ति को जीने का अधिकार है. रविशंकर ने यहां सेंट्रल प्रेस क्लब में संवाददाताओं से कहा, ‘‘आतंकवादियों को वार्ता के लिए निमंत्रण दिया जाना चाहिए, लेकिन केवल इससे समस्या का हल नहीं होगा क्योंकि वे यह समझना ही नहीं चाहते कि दूसरों को भी जीवन जीने का हक है. अतएव, उन पर सशस्त्रबलों का दबाव बनाए रखने की आवश्यकता है.” एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि संकीर्ण मानसिकता आतंकवाद के पीछे की वजह है. उन्होंने कहा, ‘‘यदि बच्चे को सभी धर्मों की शिक्षा दी जाये तो यह (आतंकवाद) टिक नहीं पायेगा.” रविशंकर ने कहा कि भारत लंबे समय से आतंकवाद से पीड़ित रहा है, लेकिन पश्चिमी देश इस बात को स्वीकार नहीं कर पा रहे थे. उन्होंने कहा, ‘‘वे कहा करते थे कि यह क्रिया की प्रतिक्रिया है. लेकिन जब पेरिस पर आतंकवादियों का हमला हुआ तो पूरा यूरोप हिल गया और सभी उसके खिलाफ संघर्ष के लिए एकजुट हो गये. पेरिस हमले के बाद ही उन्हें अहसास हुआ कि भारत इस बुराई से बुरी तरह प्रभावित है.”विपक्ष के इस आरोप पर कि देश में असहिष्णुता बढ़ रही है, आध्यात्मिक गुरु ने कहा कि उन्हें असहिष्णुता का कोई माहौल नहीं मिला. उन्होंने संभवत: सांप्रदायिक तनाव की घटनाओं की ओर की इशारा करते हुए कहा, ‘‘विभिन्न समुदायों के बीच कोई सेतु नहीं है और ऐसी समस्या सामान्यत: चुनाव के दौरान ही होती हैं.” दादरी की घटना पर उन्होंने कहा कि किसी को भी किसी की जान लेने या कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं है. रविशंकर ने कहा, ‘‘देश में विश्वगुरु बनने के लिए जरुरी संभावनाएं हैं, क्योंकि यह बहुत ही युवा और प्रतिभाशाली देश है तथा उसकी गहरी विरासत है और यह कि विविधता का देश में सम्मान होता है.”
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आतंकवाद का केवल वार्ता के जरिये ही हल नहीं किया जा सकता : श्रीश्री रविशंकर
आतंकवाद का केवल वार्ता के जरिये ही हल नहीं किया जा सकता : श्रीश्री रविशंकरभोपाल. आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर ने रविवार को कहा कि आतंकवाद पर केवल बातचीत के जरिये अंकुश नहीं पाया जा सकता है बल्कि साथ ही आतंकवादियों पर सशस्त्रबलों का दबाव डाला जाना चाहिए, ताकि उन्हें समझ में आये कि हर व्यक्ति […]
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