बच्चों की आंखों को बचायें::::::संपादितस्कूल जाने वाले बच्चों में विटामिन ए की कमी देखी जा रही है. इसकी वजह से उनकी आंखों की रोशनी कम हो रही है. पिछले दिनों शहर और आसपास के स्कूलों में एक प्राइवेट संस्था की तरफ से ऐसे आठ हजार 839 बच्चों की आंखों की जांच की गयी. इसमें से 153 बच्चों में विटामिन ए की कमी पायी गयी. इस दौरान आंखों से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण तथ्य भी सामने आये. पेश है लाइफ @ जमशेदपुर की यह रिपोर्ट…कई स्कूलों में हुई जांच पिछले दिनों एक संस्था द्वारा शहर और आसपास के 21 स्कूलों के बच्चों की आंखों की जांच की गयी. इसमें बारीडीह स्थित एआइडब्ल्यूसी एकेडमी ऑफ एक्सीलेंस के सबसे अधिक 1471 बच्चे शामिल हुए. गम्हरिया के भारती विद्यालय के 1275 बच्चों की आंखों को देखा गया. वहीं, गाेलमुरी के महिला शिक्षण केंद्र के सबसे कम 10 बच्चों की आंखों की जांच हुई.कई बच्चों में विटामिन ए की कमीजांच में पाया गया कि भारती विद्यालय के 37 बच्चों को विटामिन ए की कमी के कारण आंखों में दिक्कत हो रही है. वहीं बाराद्वारी के पीपुल्स एकेडमी हाइस्कूल में ऐसे 20 बच्चे हैं. लोयोला हिंदी स्कूल में 18, राजकीय क्रिटोरिया मिडिल स्कूल सिदगोड़ा के 15 और सिदगोड़ा के ही बाल भारती मिडिल स्कूल के 14 बच्चों में भी विटामिन ए की कमी पायी गयी.बच्चों को लगेंगे चश्मेजांच के दौरान कई बच्चों को चश्मे लगाने की सलाह दी गयी. लायंस के फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रजनीश कुमार बताते हैं कि सबसे अधिक बारीडीह स्थित एआइडब्ल्यूसी एकेडमी ऑफ एक्सीलेंस के 82 बच्चों को चश्मे लगाने को कहा गया. भारती विद्यालय गम्हरिया के 55 बच्चों को ऐनक लगेंगे. इसी तरह से ब्ल्यू बेल्स मानगो में ऐसे 33 बच्चे हैं. ऐनक की व्यवस्था लायंस फ्रैटर्निटी की तरफ से की जायेगी.चेकअप कराने की मिली सलाहकई स्कूलों में बच्चों की आंखों में अन्य तरह की दिक्कतें भी आयीं. ऐसे बच्चों को अस्पताल में अच्छी तरह से जांच कराने की सलाह दी गयी. लायंस के फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के मुताबिक इसके लिए शहर के कुछ अस्पताल प्रबंधन से बातचीत की जा रही है. ब्ल्यू बेल्स मानगो और एआइडब्ल्यूसी एकेडमी ऑफ एक्सीलेंस बारीडीह में ऐसे 19-19 बच्चे हैं. जबकि 13-13 बच्चे मानगो के झंडा सिंह मिडिल स्कूल और राष्ट्रपिता गांधी मिडिल स्कूल के हैं.——–हर महीने साढ़े पांच सौ से अधिक बच्चे पहुंच रहे अस्पताल स्थिति यह है कि आंखों के इलाज के लिए हर महीने साढ़े पांच सौ से अधिक बच्चे अस्पताल जा रहे हैं. जमशेदपुर आइ हॉस्पिटल से प्राप्त जानकारी के मुताबिक अस्पताल में इस साल जुलाई में सबसे कम 569 बच्चे आंखों के इलाज के लिए पहुंचे, जबकि हॉस्पिटल में अप्रैल में सबसे अधिक 757 बच्चों की आंखें देखी गयीं. इसमें एक से सोलह साल तक के बच्चे शामिल हैं. ————–मंथली ओपीडी रिपोर्ट (आइ हॉस्पिटल जमशेदपुर)(उम्र 1 से 16 वर्ष) अप्रैल 757मई 693 जून 708 जुलाई 569अगस्त 661 सितंबर 665 अक्तूबर 632 ——-जा सकती है आंखों की रोशनीविटामिन ए की कमी से रात का अंधापन यानी रतौंधी हो सकती है. आंख रोग विशेषज्ञ डॉ सिंघल बताते हैं कि विटामिन ए की कमी से आंखों के सफेद वाले हिस्से में छलनी हो सकती है. इसे बायटॉट स्पॉट कहा जाता है. कॉरनिया में सफेदपन आ सकता है. इसे आंखों का अल्सर कहा जाता है. कई बार देखा जाता है कि बुखार, दस्त, उल्टी, हैजा आदि की वजह से बच्चों में विटामिन ए की कमी हो जाती है. ऐसे केस में भी आंखों के अल्सर होने के चांस रहते हैं. इस स्थिति में आंखों की रोशनी पूरी तरह से जा सकती है.बड़ी समस्या है लेजी आइबच्चों में लेजी आइ की समस्या भी होती है. दस से पंद्रह फीट की दूरी की चीजें स्पष्ट नहीं दिखायी देने की समस्या को लेजी आइ कहा जाता है. डॉक्टरों की राय में इसका इलाज आठ से नौ वर्ष उम्र तक ही संभव है. समय पर इलाज न कराने से बाद में आंखों की रोशनी कम होने लगती है. इस बात की जानकारी माता-पिता को नहीं होती.घर में कैसे करें जांचलेजी आइ की वजह से दो आंखों से एक समान नहीं दिखता. लेकिन बच्चों को इसका आभास नहीं होता. घर में इसकी जांच आसानी से हो सकती है. दस से पंद्रह फीट की दूरी पर बैठकर कैलेंडर, टीवी स्क्रीन पर चलने वाले बुलेटिन आदि को एक-एक आंख बंद कर देखने से दोनों आंखों की रोशनी का पता चल सकता है. डॉक्टर की राय में अगर दिक्कत हो तो तत्काल इलाज कराना चाहिए. वहीं, नौ वर्ष के बाद इसका उपचार जटिल हो जाता है. इसलिए पावर की नियमित जांच जरूर करानी चाहिए.——–डिफेक्टिव एरर में चश्मा लगायेंआंख रोग विशेषज्ञ डॉ आरबी सिंह के मुताबिक बच्चों की आंखों में डिफेक्टिव एरर जैसी दिक्कत हो सकती है. यह ऐसी बीमारी है, जिसमें आंखों में कम हो रही रोशनी का पता नहीं चलता. कई बच्चों को दोनों आंखों से बराबर नहीं दिखता. एक आंख ठीक रहती है, लेकिन दूसरी आंख से कम दिखायी देता है. लेकिन दोनों आंखों से देखने पर इस बात का आभास नहीं होता. बच्चे वैसे भी नहीं बता पाते हैं. यहां पर माता-पिता की भूमिका अहम हो जाती है. ऐसे केस में चश्मा लगाने की जरूरत होती है. वह बताते हैं कि बच्चों में विटामिन ए की कमी से रतौंधी होने का खतरा बढ़ जाता है. ——–आंखों के लिए बरतें सावधानी-आंखाें की रोशनी बचानी है तो बच्चों को ज्यादा झुक कर न पढ़ने दें-कम रोशनी में भी न पढ़ने दें-नुकीले व धारदार खिलौने से न खेलें, इससे चोट लगने का डर रहता है-खान-पान पर विशेष ध्यान दें -छह साल तक के बच्चों को हर छह महीने पर विटामिन ए की खुराक दें-हरी पत्तीदार सब्जी, तरबूज, आम, सीताफल, गाजर, बीट, सहजन, मछली, अंडा का पीला भाग आदि खिलायें-जंक फूड, फास्ट फूड से परहेज करें—————–कोट——विटामिन ए की कमी से रतौंधी, अल्सर, लेजी आइ जैसी बीमारी हो सकती है. लेजी आइ का उपचार आठ-नौ वर्ष की उम्र तक ही हो सकता है. बाद में उपचार जटिल हो जाता है.-डॉ सिंघल, आंख रोग विशेषज्ञ————–बच्चों में डिफेक्टिव एरर को नजर अंदाज नहीं करना चाहिए. स्कूल में होने वाले चेकअप में आंख संबंधी किसी तरह की दिक्कत होने पर डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए. -डॉ आरबी सिंह, आंख रोग विशेषज्ञ शहर और आसपास के स्कूलों में वंचित और पिछड़े वर्ग के बच्चों की आंखों की जांच की गयी. इसमें कई बच्चों में विटामिन ए की कमी पायी गयी.-रजनीश कुमार, फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर, लायंस क्लब——————-स्कूल बच्चों की संख्या विटामिन ए की कमी पाये जाने वाले बच्चों की संख्याअनाथ आवासीय विद्यालय, गोलमुरी 97 03आरक्षी मध्य विद्यालय, गोलमुरी 42 01आदिवासी मध्य विद्यालय, सीतारामडेरा 135 02आदिवासी उच्च विद्यालय, सीतारामडेरा 119 03कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय, सुंदरनगर 381 02लोयोला हिंदी स्कूल 1039 18श्री डीएन कमानी, बिष्टुपुर 339 02बाल भारती मिडिल स्कूल, सिदगोड़ा 370 14पीपुल्स एकेडमी हाइस्कूल, बाराद्वारी 272 20राजकीय क्रिटोरिया मिडिल स्कूल, सिदगोड़ा 220 15न्यू सिदगोड़ा मिडिल स्कूल 158 01सरदार माधो सिंह मिडिल स्कूल, मानगो 108 05झंडा सिंह मिडिल स्कूल, मानगो 436 08राष्ट्रपिता गांधी मिडिल स्कूल, मानगो 500 10ब्ल्यू बेल्स, मानगो 521 02एआइडब्ल्यूसी एकेडमी ऑफ एक्सीलेंस, बारीडीह 1471 07भारती विद्यालय, गम्हरिया 1275 37
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