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मेडिकल कचरा नष्पिादन के लिए तीन स्थल चयनित

मेडिकल कचरा निष्पादन के लिए तीन स्थल चयनित – मंजूरी के लिए जेएनएसी ने झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के पास प्रस्ताव भेजा- मंजूरी मिलते ही मुसाबनी, घाटशिला व बहरागोड़ा में से एक जगह पर बनेगा प्लांट संवाददाता, जमशेदपुरजिले में संचालित सभी अस्पतालों, क्लिनिकों, ब्लड बैंकों, पैथोलॉजी लेबोरेटरी आदि के मेडिकल कचरा का निष्पादन के […]

मेडिकल कचरा निष्पादन के लिए तीन स्थल चयनित – मंजूरी के लिए जेएनएसी ने झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के पास प्रस्ताव भेजा- मंजूरी मिलते ही मुसाबनी, घाटशिला व बहरागोड़ा में से एक जगह पर बनेगा प्लांट संवाददाता, जमशेदपुरजिले में संचालित सभी अस्पतालों, क्लिनिकों, ब्लड बैंकों, पैथोलॉजी लेबोरेटरी आदि के मेडिकल कचरा का निष्पादन के लिए जिले में तीन स्थल चयनित किये गये हैं. सब कुछ ठीक रहा तो मुसाबनी, घाटशिला या बहरागोड़ा में से किसी स्थल पर मेडिकल कचरा निष्पादन के लिए प्लांट लगाया जायेगा. जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति ने स्थलों को चिह्नित कर मंजूरी के लिए झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के क्षेत्रीय पदाधिकारी को प्रस्ताव भेजा है. प्रस्ताव को मंजूरी मिलते ही भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया शुरू हो जायेगी. गौरतलब हो कि पूर्व में चिह्नित जमीन मापदंड के अनुरूप नहीं मिलने पर प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया था. बाद में जेएनएसी के विशेष पदाधिकारी दीपक सहाय ने सरकार को पत्र लिखा. उनके पत्र के बाद सरकार ने मामले में हस्तेक्षप कर जिला प्रशासन काे स्थल चिह्नित कर प्रस्ताव मांगा था. प्रस्ताव पर घाटशिला एसडीओ ने मुसाबनी अंचल के कुलामारा, घाटशिला के पहाड़पुर और बहरागोड़ा के सिंहपुरा में स्थल चयनित कर प्रस्ताव डीसी के पास के भेजा. डीसी के आदेश पर एडीसी ने जेएनएसी को प्रस्ताव भेज दिया. जेएनएसी ने तत्काल प्रस्ताव प्रदूषण बोर्ड को भेज दिया. मेडिकल कचरा मामले में हाइकोर्ट गंभीर हाइकोर्ट ने अस्पतालों से उत्सर्जित मेडिकल कचरा के निष्पादन के लिए बायो मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल एंड हैंडलिंग रूल्स 1998 के तहत त्वरित कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. रूल्स के तहत अस्पतालों, क्लिनिकों, पैथोलॉजी लेबोरेटरी आदि के परिसरों में काला, लाल, ब्लू व पीले रंग का कंटेनर रखा जाये. कंटेनरों में ही मेडिकल कचरा रखा जाये और उसका निष्पादन किया जाये. खुले में मेडिकल कचरा फेंकना काफी खतरनाक है. जेएचआरसी ने जनहित याचिका दायर कर मेडिकल कचरे के निष्पादन के लिए सरकार को उचित आदेश देने का आग्रह किया था. कुछ ही अस्पतालों के पास इंसीनेटर जिले में छोटे-बड़े लगभग 50 अस्पताल हैं. इनमें सरकारी व निजी अस्पताल शामिल हैं. हालांकि कुछ अस्पतालों के पास इंसीनेटर (बायो मेडिकल कचरा निस्तारण मशीन) की व्यवस्था है. इनमें टाटा मुख्य अस्पताल, टिनप्लेट अस्पताल, मर्सी अस्पताल, राजस्थान सेवा सदन, कांतिलाल गांधी अस्पताल व ब्रह्मानंद नारायणा अस्पताल शामिल हैं. अन्य निजी अस्पतालों, पैथोलॉजी क्लीनिक, मेडिकल क्लीनिक जैसे-तैसे काम चला रहे हैं. ऐसे निजी अस्पताल संचालक रामगढ़ के एक निजी एजेंसी से करार कर बायो मेडिकल कचरा वहां ले जाकर निस्तारण करने का प्रमाण पत्र लेते हैं. —————–5 साल की सजा का प्रावधान बायो मेडिकल वेस्ट के डिस्पोजल में लापरवाही बरतने पर इंवायरमेंट प्रोटेक्शन एक्ट, 1986 के अनुसार आरोपियों को 5 साल तक कैद व एक लाख रुपये तक का जुर्माना या फिर दोनों एक साथ देने का प्रावधान है. ——————बायो-मेडिकल वेस्ट से नुकसान – इंफेक्शन और गंभीर बीमारियां फैलने का खतरा – इंजेक्शन, ब्लेड्स से जख्म होने पर इंफेक्शन का खतरा – हाइपोडर्मिक सुई, ट्यूब्स, ब्लेड्स, बॉटल्स जैसे डिस्पोजेबल सामग्री के रिसाइक्लिंग से इंफेक्शन फैलने का खतरा – डिस्कार्डेड दवाओं के प्रयोग से रिएक्शन – कई केमिकल और फार्मास्यूटिकल ड्रग्स हर्जाडस होते हैं. इनसे इनटॉक्सिकेशन का खतरा ——————-क्या है बायोमेडिकल वेस्ट के नियम – अस्पताल प्रबंधन को निकलने वाले कूड़े को 3 हिस्सों में बांटना है – ब्लड, मानव अंग जैसी चीजों को लाल डिब्बे में डाला जाये – कॉटन, सिरिंज, दवाइयां पीले डिब्बे में डाला जाये – मरीजों के खाने की बची चीजों को ग्रीन डिब्बे में डाला जाये – इन डिब्बे में लगी पॉलीथिन के आधा भरने के बाद इसे पैक कर अलग रख दिया जाता है, जहां इंफेक्शन फैलाने का चांस नहीं हो प्लांट के लिए चयनित स्थल (एक नजर में )अंचल – मौजा – थाना – खाता नंबर – प्लांट संख्या – रकवा मुसाबनी – कुलमारा – 95 — 307 — 418 — 2. 83 घाटशिला – पहाड़पुर — 1121 — 135– 408 — 2. 24 बहरागोड़ा — सिंहपुरा — 938 — 79 — 161 — 42. 60

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