दलमा सेंचुरी पर्यटन के दृष्टिकोण से काफी समृद्ध है. दलमा वन क्षेत्र में ऐसे अनेक दर्शनीय स्थल हैं, जहां पहुंच कर मन को शांति और ब्रिटिश काल का भी बोध होता है. इन सबके बावजूद पर्यटन के दृष्टिकोण से क्षेत्र का अपेक्षित विकास नहीं हो सका है, जबकि दलमा सेंचुरी की स्थापना वर्ष 1976 में हुई थी. केवल माकुलाकोचा से पिंड्राबेड़ा(करीब 15 किलोमीटर) तक विकास नजर आता है. माकुलाकोचा से दलमा सेंचुरी की शुरुआत होती है. यहां चेकनाका है. यहीं एक गेस्ट हाउस है, जो बांस से निर्मित है. यहीं दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी संग्रहालय है, जहां इस क्षेत्र में पाये जानेवाले जीव-जंतु व जानवरों से संबंधित कई जानकारियां उपलब्ध हैं. चेकनाका पर ही एक प्लाजा का निर्माण कराया जा रहा है, जहां चाय-कॉफी की व्यवस्था होगी. यहां से थोड़ा आगे कर एक गेस्ट हाउस का निर्माण कराया जा रहा है. इसके बाद 15 किलोमीटर दूर पिंड्राबेड़ा में विश्राम की व्यवस्था है. यहां भी वन विश्रामागार है. कुल मिलाकर इतनी ही दूर में विकास कार्य नजर आता है. पिंड्राबेड़ा के आगे पांच किलोमीटर की दूरी पर दलमा टॉप है, जहां मंदिर है. इसके बाद क्षेत्र में जगह-जगह चेकडैम बने हैं, जहां हाथी व अन्य जंगली जानवरों के पानी पीते हैं. कहीं-कहीं पीसीसी सड़क बनी है और प्रमुख चेकडैम, जलस्त्रोतों के निकट जानवरों को देखने के लिए सुरक्षित स्थान. इसके अलावा कहीं भी न तो कोई गेस्ट हाउस है और न ही पर्यटकों के लिए गाइड की व्यवस्था.
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माकुलाकोचा से पिंड्राबेड़ा तक सिमटा विकास
दलमा सेंचुरी पर्यटन के दृष्टिकोण से काफी समृद्ध है. दलमा वन क्षेत्र में ऐसे अनेक दर्शनीय स्थल हैं, जहां पहुंच कर मन को शांति और ब्रिटिश काल का भी बोध होता है. इन सबके बावजूद पर्यटन के दृष्टिकोण से क्षेत्र का अपेक्षित विकास नहीं हो सका है, जबकि दलमा सेंचुरी की स्थापना वर्ष 1976 में […]
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