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सीएम साहब! राज्य को है महिला जेल का इंतजार

जमशेदपुर: झारखंड गठन के 14 वर्ष बाद भी राज्य में एक भी महिला जेल नहीं है. राज्य के जेलों में महिला बंदी को अलग वार्ड में रखा जाता है. इस कारण महिला बंदी जेल में खुद को सुरक्षित व स्वतंत्र महसूस नहीं कर पाती हैं. राष्ट्रीय महिला आयोग और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग झारखंड में महिला […]

जमशेदपुर: झारखंड गठन के 14 वर्ष बाद भी राज्य में एक भी महिला जेल नहीं है. राज्य के जेलों में महिला बंदी को अलग वार्ड में रखा जाता है. इस कारण महिला बंदी जेल में खुद को सुरक्षित व स्वतंत्र महसूस नहीं कर पाती हैं. राष्ट्रीय महिला आयोग और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग झारखंड में महिला जेल बनाने की सिफारिश कर चुका है. राज्य में महिला जेल बनाने की सिफारिश कर चुका है. केंद्रीय गृह मंत्रलय के निर्देश पर राज्य में महिला जेल बनाने का प्रस्ताव जोर पकड़ा.

कारा विभाग ने साकची जेल घाघीडीह स्थानांतरित होने के बाद साकची जेल को महिला जेल बनाने का प्रस्ताव राज्य सरकार के पास से भेजा गया. जो अब तक सरकार के स्तर से लंबित है. संसाधन उपलब्ध होने के बाद भी इच्छा शक्ति के अभाव में 14 साल बाद भी राज्य में महिला जेल नहीं बन सका. राज्य गठन हुए 14 साल बीत गये है, लेकिन राज्य में एक भी महिला जेल नहीं बन सका. छत्तीसगढ़ राज्य का उदय झारखंड के साथ हुआ. वहां महिला जेल बन चुका है. एकीकृत बिहार में भागलपुर में महिला जेल था.

14 साल में तीन जेलों को मिला सेंट्रल जेल का दर्जा
राज्य गठन के बाद झारखंड में तीन जेलों को सेंट्रल जेल का दर्जा मिला. एकीकृत बिहार में रांची, हजारीबाग में जेल सेंट्रल जेल थे. राज्य गठन के बाद घाघीडीह, दुमका और डाल्टेनगंज को सेंट्रल जेल का दर्जा दिया गया, लेकिन इन सेंट्रल जेलों में संसाधन, सुविधा उपलब्ध नहीं है.
साकची जेल में 425 बंदियों की क्षमता
साकची जेल में 425 बंदियों की रखने की क्षमता है. जेल भवन के पीछे बंदियों को रखने के लिए दो नये बिल्डिंग बनाये गये. नये बिल्डिंग में बंदियों को शिफ्ट किया जाता उसके पूर्व ही साकची जेल घाघीडीह जेल स्थानांतरित हो गया. वर्तमान में उक्त भवन का कोई उपयोग नहीं हो रहा है. रात्रि में असामाजिक तत्व और नशीड़ियों का अड्डा बन गया है. साकची जेल को राज्य का महिला जेल बनाने का मामला सरकार के पास विचाराधीन है.

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