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विकास में बाधक आर्थिक विषमता

जमशेदपुर: समाज में आर्थिक विषमता का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है. गरीब और गरीब होते जा रहे हैं. नये उद्योग लगाने में कई तरह की समस्याएं पैदा हो रही हैं. पूंजी के अभाव में नये उद्यम स्थापित नहीं हो पा रहे हैं. इन्हें दूर किये बिना आर्थिक रूप से सबल नहीं हुआ जा सकता […]

जमशेदपुर: समाज में आर्थिक विषमता का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है. गरीब और गरीब होते जा रहे हैं. नये उद्योग लगाने में कई तरह की समस्याएं पैदा हो रही हैं. पूंजी के अभाव में नये उद्यम स्थापित नहीं हो पा रहे हैं. इन्हें दूर किये बिना आर्थिक रूप से सबल नहीं हुआ जा सकता है. यह बात एक्सएलआरआइ में आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला के दौरान उभर कर सामने आयी. फिज आरोहन कार्यशाला में सामाजिक उद्यमों के लिए इकोसिस्टम डेवलपमेंट और कैपेसिटी बिल्डंग पर मुख्य रूप से चर्चा हुई. इसमें शामिल देश-विदेश से आये प्रतिनिधियों ने सामाजिक उद्यमों के बढ़ावा को लेकर अपने विचार रखे. विशेषज्ञों ने माना कि विकास के लिए अब ग्रामीण क्षेत्रों में व्याप्त आर्थिक विषमता को दूर करना होगा.

कार्यशाला का आयोजन सामाजिक उद्यमों का विकास और बुनियादी ढांचे में सुधार लाने के उद्देश्य से किया गया था. एक्सएलआरआइ के फादर अरूप सेंटर फॉर इकोलॉजी एंड सस्टेनेबिलिटी (फेसेज) के नेतृत्व में इस कार्यक्रम का आयोजन हुआ. इसके आयोजन में आईआइएम अहमदाबाद के सेंटर फॉर इनोवेशन, इन्क्यूबेसन व इंटरप्रेन्योरशिप (सीआईआईई) व जर्मनी के फिज संस्था ने मुख्य भूिमका निभायी. फेसेज के अध्यक्ष डा. मधुकर शुक्ला ने कहा कि विकास के मुद्दे में स्थानीय स्तर पर सामाजिक विषमता सामने आ जाती है.

समाज में आर्थिक विषमता के कारण विकास के मॉडल काम नहीं कर पा रहे हैं. इसे दूर करने में सामाजिक प्रतिष्ठानों की मुख्य भूमिका हो सकती है. लेकिन, उनके सामने भी कई प्रकार की समस्याएं हैं. उद्यम शुरू करने के साथ उन्हें पूंजी नहीं मिल पाती. डा. शुक्ला ने कहा कि कार्यशाला में संस्थान के 15 विद्यार्थियों ने सामाजिक उद्यमों के लिए वित्तीय मॉडल का निर्माण किया.

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