जमशेदपुर: मानव जीवन में गुरु की महत्ता अतुलनीय है. उनके बताये मार्ग पर चलने के साथ ही गुरु पूर्णिमा के अवसर पर शिष्यों को दक्षिणा अर्पित करने के लिए भी तैयार रहना चाहिए. गुरु कहते हैं कि तुम अपने काम, क्रोध, लोभ आदि जैसे रिपु (दुश्मन) का त्याग करो यही दक्षिणा है. यह बात गुरुमाता पूर्णिमा देवी ने कही. वह भारतीय युग वशिष्ठ ब्रह्नानंद संघ के तत्वावधान में साकची के रवींद्र भवन में चल रहे गुरु पूर्णिमा महोत्सव के दूसरे दिन शिष्यवृंद व संघ के सदस्यों का मार्गदर्शन कर रही थीं. उन्होंने कहा कि बुरी आदतों का त्याग कर गुरु में ध्यान लगायें. इस अवसर पर उन्होंने संघ की स्मारिका ब्रह्नालोक और प्रवचन संग्रह वचनम मधुरम का विमोचन किया. इससे पूर्व प्रात: काल कदमा के एयरबेस कॉलोनी स्थित ब्रह्नालोक धाम में जप के साथ दूसरे दिन के अनुष्ठान का शुभारंभ हुआ. इसमें देश भर की विभिन्न शाखाओं से आये सदस्य शामिल हुए. जप के पश्चात संघ के उप सभापति मोनू बिंदु भट्टाचार्जी ने परमपूज्य गुरुदेव पंडित ब्रrानंद शास्त्री की प्रतिमा को विधि-विधान पूर्वक महास्नान कराया. दही, त्रिवेणी संगम के जल से गुरुदेव का महास्नान शिष्य व श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र रहा.
वहीं सुबह 11.00 बजे से रवींद्र भवन में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरुआत हुई. संघ की स्थानीय शाखा के सदस्यों ने रत्नाकर से वाल्मिकी शीर्षक नाटक का मंचन किया. इसके माध्यम से बताया गया कि गुरुकृपा से रत्नाकर लुटेरा से कैसे वाल्मिकी बने और रामायण की रचना की. इसके बाद मुंबई की नासिक शाखा ने मीरा बाई नाटक का मंचन किया.
वहीं दिल्ली शाखा ने नमस्य नारी का मंचन कर सतयुग से अब तक नारी की महत्ता बतायी और उसका सम्मान करने का संदेश दिया. नाटकों के बीच-बीच में गीत-संगीत व नृत्य ने दर्शकों को बांधे रखा. इस दौरान संघ के सभापति कृपा बिंदु भट्टाचार्य एवं सैकड़ों महिला-पुरुष सदस्य उपस्थित थे.